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Monday, March 28, 2022

ॐ शांति ॐ, पार्ट- 2

Om Shanti Om, Part- 2

जैसा की हम सब जानते हैं की, शाहरुख़ खान की फिल्म ॐ शांति ॐ में एक बड़ा ही फेमस डायलाग है, “अगर किसी चीज को पूरे दिल से चाहो तो सारी कायनात तुम्हे उससे मिलाने की साजिश में लग जाती है। कहते हैं, फिल्मों की तरह हमारी ज़िन्दगी में भी अंत तक सबकुछ ठीक हो ही जाता है। हैपी एंडिंग्स। और अगर ना मिले, तो वो द एन्ड नहीं, इसका मतलब, पिक्चर अभी बाकी है। ”

अगर हम इस डायलाग की आखिरी लाइन पर गौर करें तो इसमें कहा गया है की अगर हैपी एंडिंग ना मिले तो इसका मतलब पिक्चर अभी बाकी है। उसी लाइन को फॉलो करते हुए सबसे पहले हम ये फाइंड आउट करेंगे की ॐ शांति ॐ की स्टोरी में हैपी एंडिंग कैसे नहीं थी।

फाइंड आउट करने के लिए, हम इसका एक क्विक रिकैप लेंगे।

ॐ शांति ॐ की कहानी में, ॐ नाम का एक लड़का है जिसका पूरा नाम “ॐ प्रकाश मखीजा है ” (Full Name)।

ॐ एक गरीब घर का लड़का होता है, जिसके पिता, फिल्मों में एक जूनियर आर्टिस्ट हुआ करते थे। उसके पिता के तरह उसकी माँ भी एक जूनियर आर्टिस्ट होती है। उनके बाद ॐ भी एक बड़ा फ़िल्मी सितारा बनने की ख्वाहिश से एक जूनियर आर्टिस्ट के रूप में अपने करियर की शुरुवात करता है। जब भी कोई बड़ी फिल्म आती तो उसे उस फिल्म में कोई न कोई एक छोटा मोटा रोल मिल ही जाता था, जिससे उसकी थोड़ी बहुत अर्निंग भी हो जाती थी। वो हर एक बड़े फ़िल्मी स्टारों को बड़े गौर से देखा करता, और खुद भी एक बड़ा फ़िल्मी सितारा बनने की ख्वाहिश रखता।

इन्ही शूटिंग के दौरान उसे एक बड़ी एक्ट्रेस के बारे में मालूम चलता है, जिसका नाम, शांति प्रिया होता है। वो उसे काफी अट्रैक्टिव लगती है, वो उसके बारे में अनेकों जानकारियां इकट्ठी करता है, जानकारी इकठ्ठा करते-करते वो दिल ही दिल में उस एक्ट्रेस से प्यार करने लगता है। वो अक्सर उस एक्ट्रेस के होर्डिंग के नीचे खड़ा हो कर अपने दिल की बातें उस होर्डिंग में उसकी तस्वीर से करता है। इस बारे में उसके अलावा उसके एक सबसे करीबी दोस्त को मालूम होता है।

ये सिलसिला बहुत दिनों तक चलता है, तभी एक फिल्म की शूटिंग को ले कर वो एक्ट्रेस उस शहर में आई होती है। ॐ का दोस्त जल्दी से उसके पास आकर उसे ये खबर देता है, और वो उस एक्ट्रेस को करीब से देखने के लिए, एक अवसर भी ढूंढ लेते हैं। जब वो एक्ट्रेस शूटिंग के सेट पर पहुँचती है तो उस एक्ट्रेस पर फूलों की बरसा के लिए बहुत सारे लोग नियुक्त किये गए होते हैं, उसमें ॐ भी अपना नाम देता है। ॐ और उसका दोस्त, वहां पहुँच जाते हैं, और वहां ॐ पहली बार “शांति प्रिया ” को करीब से देखता है।

ॐ के हाँथ में एक लॉकेट बंधा होता है जिसपर ॐ लिखा होता है। संजोग से, वो लॉकेट शांति के दुपट्टे के झालर में फस जाता है। जिससे शांति का दुपट्टा उसके शरीर से सरकने लगता है, वो दुपट्टा ना सरके इसीलिए वो उस एक्ट्रेस के पीछे-पीछे चलने लगता है।

तुरत ही शांति प्रिया को ऐसा महसूस होता है की उसका दुपट्टा सरक रहा है, वो उसी क्षण पीछे मुड़ती है और पहली बार उसकी नज़र ॐ से मिलती है, वो पहले इस बात से घबरा जाती है की आखिर ॐ उसके पीछे क्यों आ रहा है? तभी वो शांति को उसके दुपट्टा में फंसा हुआ लॉकेट दिखाता है, जिसे देख कर वो उस दुपट्टे को उसके लॉकेट से अलग कर के अंदर चली जाती है। तभी गार्ड्स वहां आते हैं, और वो ॐ को भी साइड कर देते हैं।

कुछ दिनों बाद शांति प्रिया के फिल्म के एक गाने का प्री-लांच शो होस्ट होता है, जिसमें केवल सारे बड़े एक्टर्स ही इन्वाइटेड होते हैं। चुकी, ॐ और उसका दोस्त सिर्फ एक जूनियर आर्टिस्ट होते हैं, इसीलिए वो उस शो को देखने नहीं जा सकते, लेकिन उसके दोस्त ने ये काम भी आसान कर दिया। उन् सारे एक्टर्स में एक एक्टर मनोज कुमार होते हैं जिनकी एक अजीब सी आदत है, वो हर वक़्त अपने चेहरे को अपने हाँथ से ढक कर चला करते हैं, उनकी इस आदत का फायदा उठा कर ॐ और उसका दोस्त उनसे पहले ही वहां पहुँच जाते हैं, और मुँह ढक कर मनोज कुमार का नाम ले कर अंदर जाते हैं, जब गार्ड उनसे पूछता है की दो लोग मनोज कुमार हैं क्या?

तो उसका दोस्त खुद को उनका असिसटेंट बोल कर अंदर चला जाता है। जब बाद में असली मनोज कुमार वहां आते हैं, तब गार्ड उन्हें पहचनाने से इंकार कर देता है और, फोरस्फुल्ली उन्हें वहां से भगा देता है। अंदर जब, ॐ को मनोज कुमार की फिक्र होती है, तो उसका दोस्त उससे कहता है, की मनोज कुमार जी बहुत अच्छे आदमी हैं, वो कभी बुरा नहीं मानेंगे।

अंदर जाकर वो पूरे गाने का मजा लेते हैं, ॐ उस गाने को देख कर खुद को एक्टर के जगह महशूस करने लगता है, और शान्ति के साथ खुद को डांस करता हुआ इमेजिन करता है।

सब उस गाने को देख कर बाहर निकल आते हैं।

अगला सीन, सेट का होता है, जहाँ ॐ को एक छोटा सा रोल मिला होता है। सीन के मुताबिक, वहां आग लगी होती है, आग के बीचो-बीच शान्ति प्रिया होती है, सीन के शुरुवात में ॐ को आग को देख घबराना होता है, और भागो भागो चिल्लाना होता है” उसके भागो भागो चिल्लाते ही सब को इधर-उधर भागना होता है।”

सब अपने रोल के मुताबिक बिलकुल वैसा ही करते हैं। भगदड़ मचने के बाद उस फिल्म में नियुक्त एक्टर को शांति प्रिया को बचाने के लिए आग में कूदना होता है, और शांति को वहां से बचा कर लाना होता है।

एक्टर बड़े ही आराम से बैठा होता है, जब सब उसे अपना रोल प्ले करने के लिए उससे बोलते हैं तब वो आग के ठंडी होने के बाद वहां जाने की बात करता है। वही दूसरी तरफ आग के बढ़ने से शान्ति की हालत ख़राब होने लगती है, ये सब, ॐ से नहीं देखा जाता है, और ॐ उस एक्टर से जा कर उसे शान्ति को बचाने की रिक्वेस्ट करता है, तब गुस्से में एक्टर उससे बोलता है, की अगर उसे शांति प्रिया की इतनी ही चिंता है, तो वो खुद ही जा कर उसे बचा ले।

ये देख कर ॐ को उस एक्टर पर गुस्सा आता है, लेकिन उस वक़्त शांति को बचाना ज्यादा जरूरी होता है इसीलिए वो उस एक्टर को वही छोड़ कर खुद आग में खुद पड़ता है, और वो शांति प्रिया को आग से बचा कर ले आता है।

इस दरमियान, ॐ को आग के कारण कुछ जख्म भी हो जाते हैं। वो उस जख्म की मरहम पट्टी करा रहा होता है, और शान्ति की तारीफ़ भी कर रहा होता हैं। उसी वक़्त, ॐ को थैंक्स बोलने के लिए शान्ति वहां आ जाती है, क्योंकि ॐ ने उसे आग से बचाया होता है। वो वहां, ॐ के मुँह से अपनी तारीफ़ सुन कर खुश हो जाती है।

इस इंसिडेंट के बाद वो फ्रेंड्स बन जाते हैं। उस फिल्म के इवेंट के दौरान, सारे एक्टर, एक्ट्रेसेस, और आर्टिस्ट्स को वहां एक ऑडिटोरियम में आना होता है। वहां सबके पहुँचने से ठीक पहले ॐ, शांति से मिलने के लिए वहां आ जाता है। जैसे ही वो वहां पहुँचता है, उसे किसी के आने की आहट सुनाई देती है, वो आहट सुन कर एक कोने में छुप जाता है।

तभी वो देखता है, की शांति प्रिया उस फिल्म के प्रोडूसर “मुकेश मेहरा” के साथ वहां आती है। दोनों के बीच हो रही बातों से ॐ को ये पता चलता है की शान्ति और मुकेश दो सालों से शादीशुदा हैं। और अब शांति प्रेग्नेंट भी है। जब शांति ज़ोर दे कर मुकेश को उनके रिश्तों को पब्लिक्ली एक्सेप्ट करने के लिए कहती है तो, मुकेश गुस्सा हो जाता है, और कहता है की मुझे इसी बात का डर था इसीलिए मैंने तुम्हे पहले ही रास्ते से हटाने का इंतजाम कर दिया था, लेकिन उस बेवक़ूफ़ जूनियर आर्टिस्ट ने आ कर तुम्हे आग से बचा लिया, लेकिन आज तुम नहीं बचोगी। वो शांति को उसी ऑडिटोरियम में जला कर मार देता है। और खुद वहां से बच निकलता है। उसे जरा भी अंदाजा नहीं होता है की अंदर शान्ति के साथ ॐ भी है, और उस आग में शान्ति के साथ-साथ ॐ भी जल कर मरा है।

कहानी के दूसरे हिस्से में..

ॐ का पुनर जन्म होता है और इस बार ॐ बहुत ही बड़े और फेमस एक्टर के घर में जन्म लेता है और वो अपने पिता के ही तरह एक फेमस और बड़ा एक्टर बनता है। एक पार्टी के दौरान उसकी मुलाकात मुकेश से दुबारा होती है। मुकेश को देख कर ॐ को पिछले जन्म की सारी बातें याद आ जाती है और ॐ, मुकेश से शान्ति के मौत का बदला लेने की ठान लेता है। वो अपने पिछले जन्म के घर में जा कर अपनी पिछले जन्म की माँ और अपने दोस्त से मिलता है। वो ॐ को बाकी की कहानी बताते हैं।

फिर सब मिल कर ॐ शांति ॐ फिल्म जो की उस फायर इंसिडेंट के कारण बंद हो गई थी उसे फिर से शुरू करते हैं। सारी कहानियां दोहराई जाती है और अंत में ॐ मुकेश को उसी ऑडिटोरियम में दुबारा ले कर आता है। वहां ॐ, मुकेश को सारी बातें याद दिलाता है और अपने पुनर्जन्म की कहानी भी बताता है। मुकेश को डराने के लिए ॐ एक शान्ति जैसी ही दिखने वाली दूसरी एक्ट्रेस को ले कर आता है। लेकिन, इससे पहले वो एक्ट्रेस वहां आए, दरवाजा जाम हो जाता है और उस नकली एक्ट्रेस की जगह असली शांतिप्रिया की आत्मा वहां आ जाती है।

चुकी मुकेश पहले ही समझ चुका होता है की ये सब उसको डराने के लिए किया जा रहा है, इसीलिए वो दोनों को मारने की धमकी देता है, और पिस्तौल भी निकाल लेता है। इतने में ॐ भी शांति की आत्मा को नकली एक्ट्रेस समझ रोकने और बताने की कोशिश करता है की मुकेश को पहले से सबकुछ मालूम है। तभी शांति कुछ ऐसा बोलती है जिससे ॐ, और मुकेश दोनों चौंक जाते हैं।

शान्ति, मुकेश से कहती है की क्या सोंच रहे हो मुकेश, मुझे फिर से मारोगे, पुलिस को मेरी लाश चाहिए होगी ना ये सब साबित करने के लिए। मैं बताती हूँ कहाँ है वो लाश, तुम आग भुझने के बाद उस दिन वापस आए थे, मेरी लाश को ठिकाने लगाने के लिए, मैं ज़िंदा थी, मेरी साँसे चल रही थी। इसी झूमर के नीचे तुमने मुझे जिन्दा गार दिया।

इसी झूमर के नीचे मिलेगी पुलिस को मेरी लाश, ये बात सुनकर जैसे ही ॐ चौंका, मुकेश ने फ़ौरन शान्ति पर गोलियां चलाई लेकिन वो गोली शांति के आर-पार निकल गई। इतने में ॐ, मुकेश को धक्के मारकर गिराते हुए फिस्तौल को अपने हाँथ में ले लेता है। और जैसे ही वो मुकेश को गोली मारने के लिए आगे बढ़ता है, शांति उसे रोक देती है, और कहती है तुम इसे नहीं मारोगे, इसे मैं मारूंगी। और वो ऊपर देखती है। उसके ऊपर देखते ही ऊपर से झूमर मुकेश पर गिर जाता है, और मुकेश की मौत हो जाती है। मुकेश के मरते ही वो नकली एक्ट्रेस ॐ के पास आ जाती है, और ॐ के सामने ही शांति गायब हो जाती है।

फिर फिल्म बहुत अच्छे से रिलीज़ हो जाती है, और इस कहानी का अंत हो जाता है।

Part- 2

जैसा की हमने देखा की इस फिल्म में मुकेश और शान्ति दोनों की ही मौत हो जाती है, और ॐ और शांति भी, ॐ के पुनर्जन्म होने के बावजूद भी एक-दूसरे से मिल नहीं पाते हैं, इसीलिए इस फिल्म में हैपी एंडिंग बिलकुल भी नहीं लगती है।

और इस फिल्म में ही ऐसा कहा गया है की अगर हैपी एंडिंग ना हो तो इसका मतलब है की पिक्चर अभी बाकी है..

इसी आधार पर लेखक ने अपनी कल्पना के आधार पर एक कॉन्सेप्चुअल पार्ट- 2 स्टोरी का निर्माण किया है, सो एन्जॉय द स्टोरी..

Raj Ranjan Presents Om Shaanti Om Part- 2

सबकुछ ख़तम होने, फिल्म के रिलीज़ और ग्रैंड सक्सेस के बाद..

फिल्म की ग्रैंड सक्सेस के बाद सारे एक्टर्स अपनी अगली फिल्म को लेकर व्यस्त हो जाते हैं। अगली फिल्म के सिलसिले में ॐ को मोहबत्तमैन का रोल अदा करना होता है। फिल्म के सीन के मुताबिक ॐ को मोहबत्त मैन की कौसट्युम में फोर्थ फ्लोर से पूरे प्रोटेक्टक्शन के साथ जम्प करना होता है।

प्रोटेक्शन सिस्टम में हुई कुछ भूल के कारण रस्सी टूट जाती है, और ॐ चौथी फ्लोर से सीधा नीचे गिर जाता है, जिससे ॐ की स्पॉट डेथ हो जाती है।

दो दिनों बाद..

एक हॉस्पिटल में, एक मिडिल-क्लास फॅमिली में, एक औरत अपने तीसरे बच्चे को जन्म देती है। उस बच्चे का नाम भी ॐ ही रखा जाता है। ये बच्चा कोई और नहीं बल्कि वही ॐ होता है जिसने अपनी अधूरी प्रेम-कहानी पूरा करने के लिए एक बार दुबारा जन्म लिया है। ठीक उसी वक़्त देश के किसी और हिस्से में शांति प्रिया ने भी जन्म लिया होता है।

ॐ और शांति अपने- अपने राज्यों में एक साथ पलते और बढ़ते हैं। इस बार ॐ को अपने पिछली ज़िन्दगी के बारे में कुछ भी मालूम नहीं होता है। लेकिन शांति को सबकुछ मालूम होता है की वो कौन है, और ॐ ने कहाँ जन्म लिया है।

7 वर्ष की आयु में शांति मिमिक्रीइंग शुरू करती है। उसकी मिमिक्री को उसकी लोकलिटी में अत्यधिक प्रशंशा मिलती है। सब उसे एक स्टार के रूप में स्वीकार लेते हैं, और वो बहुत ही ज्यादा पॉपुलर हो जाती है। सबकुछ अच्छे से चल रहा होता है, और समय के साथ ॐ और शांति बड़े होते हैं।

बदलते समय के साथ,

वो अपने स्कूल की पढ़ाई पूरी करते हैं, और इंटरमीडिएट भी कर लेते है,

अपने स्कूल के दिनों में, जब शांति बहुत ही प्रोत्शाहित की जाती है और अधिक नाम कमा लेती है। तब उसे बहुत से ऑफर्स और प्रोमोशंस मिलते हैं। देखते ही देखते उसके मदद को कदम- कदम पर बहुत से लोग उसके साथ जुड़ जाते हैं।

शांति की माँ जो की भवयष्यवाणियों में बहुत ही विश्वास रखती हैं, वो अपने एक एस्ट्रोलॉजर को बुलवा कर ये पता करवाती है भविष्य में शान्ति का विवाह किसके साथ होगा। एस्ट्रोलॉजर शांति की माँ को बताता है की शांति का विवाह ॐ के साथ होगा। वो अपने लोगों से पता करवाती है की ॐ कौन है और वो कहाँ रहता है। वो सबकुछ पता करवाती है की ॐ की ज़िन्दगी कैसी है और वो किस परिस्थिति में पल बढ़ रहा है। उसकी परिवार की स्थिति कैसी है।

बाद में, वो इस नतीजे पर पहुँचते हैं की, ॐ एक साधारण जीवन जीने वाला एक सामान्य लड़का है। उनके इस तरह ॐ के बारे में पता लगाने के प्रयासों के कारण ॐ अपने आस पड़ोस में चर्चा का विषय बन जाता है और उसके परिवार के बीच ऐसा अस्पस्ट संकेत पहुँचता है की ॐ एक किस्मत वाला लड़का है और संभवतः उसका विवाह फ़िल्मी दुनिया की किसी एक्ट्रेस या फिर जानी मानी हस्ती से हो सकता है।

ॐ और शांति का बचपन लगभग एक जैसा होने लगता है। शांति का परिवार ॐ के बारे में जो कुछ भी पता लगवाता है, ॐ के परिवार को इस बारे में अपने आप कुछ अंदाजा हो जाता है, और वो ॐ को लगभग वैसा ही कुछ प्रोवाइड कराते हैं। वे एक जैसी ही फिल्में, वेब सीरीज, सीरियल और शो देखते है। वे एक जैसी दिखने वाली जगहों पर, घूमने-फिरने के लिए जाते है। यहां तक ​​कि उनके पहनावे, फैशन, स्टाइल, दिन-रात सब कुछ एक जैसे होते हैं।

एक महान जीवन के साथ वे बड़े होते हैं। अपनी स्कूली शिक्षा और इंटरमीडिएट के बाद वो अपने कॉलेज लाइफ में कदम रखते हैं।

यह वह समय होता है जब उनकी नजरें इस जन्म में पहली बार एक दूसरे से मिलती हैं। अपनी पहली मुलाकात के दौरान वे एक-दूसरे के साथ बिल्कुल अजीब थे। क्लास में, एक सेमिनार एक्टिविटी के दौरान, जहाँ शांति एक शानदार स्पीच देती है जो की वास्तव में बेहद आकर्षक होता है। ॐ की एक नियमित आदत है कि वह जब भी किसी को कोई अच्छा और असाधारण कार्य करते हुए देखता है तब वो स्पेशली उससे मिल कर उसकी प्रशंसा किया करता है।

उसी आदत के कारण, वह शांति के पास जाता है और उसके स्पीच के संबंध में उसकी प्रशंसा करना शुरू कर करता है। जैसे ही वो ऐसा करता है, तो शांति को ऐसा महसूस होता है कि ॐ कोई एक लड़का है जो की पहले से ही उसके बारे में जानता है कि वो एक स्टार है इसलिए अनावश्यक रूप से उसका पीछा करने की कोशिश कर रहा है। इसीलिए शांति ॐ को पूरी तरह से नजरअंदाज कर देती है।

बाद में, ॐ को पता चलता है कि जिस लड़की की उसने प्रशंसा की थी वह एक स्टार है। उसे ये समझ में आ जाता है कि शांति उसे क्यों नजरअंदाज कर रही थी। उसके बाद ॐ शांति को फिर से परेशान नहीं करने का फैसला करता है।

एक दिन वे परीक्षा हॉल में बैठे होते हैं। जब सभी अपनी ऐन्सर शीट भरने में व्यस्त होते हैं। निरीक्षक की नजर अचानक से शांति पर पड़ती है और वो उससे पूछ डालती है की "क्या आप एक मिमिक्री स्टार हैं?? मैंने आपको टीवी और न्यूज़ में देखा है।"

शांति ने कहा हाँ। निरीक्षक बुदबुदायी, हाँ, मैंने आपको स्क्रीन पर देखा है। आपका चेहरा उसी से मेल खाता है। जब वे हॉल से बाहर निकले। ओम फिर से शांति के करीब आता है, और वह उसे पहचानने में भ्रमित हो जाता है। ओम की एक अजीब सी समस्या है कि वह नाम और चेहरे याद रखने में थोड़ा कमजोर है। ॐ उस स्टार के बारे में बहुत उत्सुक होता है, जिसकी प्रशंसा करते हुए वह गलती से उससे मिला होता है।

ॐ ने कहा! मैं अभी भी आपको पहचानने में असफल हो रहा हूं। मैंने आपके बारे में पढ़ा, आपकी तस्वीर भी गूगल पर देखि, लेकिन फिर भी आपको पहचान नहीं पा रहा हूँ, की आप सच में वही हो या नहीं। ऐसा सुन कर शांति अपने चेहरे से थोड़ी देर के लिए मास्क या दुपट्टा हटाती है, वो ऐसा दो-तीन बार करती है। लेकिन फिर भी ॐ के लिए बहुत मुश्किल होता है।

उसके बाद बहुत दिनों तक ॐ बार बार उस चेहरे को याद करने की कोशिश करता है। वो हमेशा उसे स्क्रीन पर, साथ ही साथ आमने सामने भी देख कर उस चेहरे को याद रखने की कोशिश करता है। शांति अक्सर उसके नजदीक से गुजर जाया करती है।

अंत में एक समय आता है जब ॐ शान्ति के चेहरे को अच्छे से याद कर लेता है और एक नजर में भी पहचान पाता है।

इसके बाद ॐ शांति से दोस्ती करने का फैसला करता है। उसे पता नहीं चलता है लेकिन जाने अनजाने में,ॐ का झुकाव शांति के तरफ बढ़ने लगता है। ॐ इस झुकाव को सिर्फ, शांति को अच्छी तरह से और बहुत करीब से समझने की एक जिज्ञासा समझता है। जब शांति को ऐसा महशुस होता है कि ओम उसका पीछा कर रहा है, तो वो एक दिन अचानक उसके सामने खड़ी होती है।

वह बस उसके चेहरे को एक टक देख रही होती है, और ॐ बहुत ही उलझन में होता है। और उसे कुछ भी समझ में नहीं आता है कि उस समय उसे क्या करना चाहिए। यह दृश्य बार-बार होता और हर बार ॐ ब्लैंक ही रह जाता है। और आख़िरकार एक दिन ॐ शांति से दो-चार शब्द बोलने का साहस जुटाता है। वो एक छोटी सी बातचीत होती है। वो कुछ बातें करते हैं और अंत में ॐ शांति से पूछता है की वो उससे कैसे कांटेक्ट कर सकता है, अगर वो आस-पास ना हो और भविष्य में उसे उससे बात करनी हो??

इसपर शांति ॐ से कहती है की, ॐ उसे इंस्टाग्राम पर फॉलो कर सकता है, फिर वो तुरंत वहां से चली जाती है। कुछ दिनों बाद, ॐ शांति के साथ हैंगऑउट करने की इक्षा प्रकट करता है।

किसी को विश्वास नहीं होता है की ॐ कितना भाग्यशाली है। शांति मान जाती है और वो एक साथ घूमने फिरने और समय बिताने लगते हैं। उनका समय बहुत अच्छा होता है और वो उस पल का पूरा आनंद लेते हैं।

शांति अपने स्टारडम का उपयोग करके ॐ को कुछ लोकप्रिय फिल्म अभिनेताओं से मिलवाती है। वो कलाकार उस शहर में एक फेमस शो होस्ट कर रहे होते हैं और ॐ को भी वहां आमंत्रित किया जाता है। यह एक बहुत बड़ा ऑडिटोरियम होता है जहाँ शो शानदार ढंग से चलता है। उस ऑडिटोरियम के बीचो-बिच एक पल ऐसा भी आता है जब ॐ शांति को गले से लगाता है और उसे चूमता है। ॐ उस समय बहुत ही सुकून, स्थिर और खुद को भाग्यशाली महसूस कर रहा होता है।

कुछ दिनों के बाद, कॉलेज के दिन समाप्त हो जाते हैं और वो एक-दूसरे से अलग हो जाते हैं। ॐ अपने प्रोफेशनल लाइफ की शुरुआत करता और एक निजी फर्म में डिजिटल मार्केटर के रूप में काम करना शुरू करता है। जब ॐ अपने कामकाजी दिनों के चरम पर होता है, तो ॐ को ऐसा सुनने में आता है कि शांति ने एक फिल्म में लीड रोल अदा किया है।

ॐ खुद को शांति की फिल्म देखने से रोक नहीं पाता है। इसके लिए वह बेहद उत्साहित होता है। ॐ अपने माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ शांति की फिल्म देखता है। ॐ सभी को गर्व से बताता है की शांति उसकी अच्छी दोस्तों में से एक है। ॐ उस फिल्म को अपने दोस्तों को भी देखने के लिए रेकमेंड करता है। ॐ के दोस्त भी उस फिल्म को देखते हैं और जम कर तारीफ़ करते हैं।

ॐ अचानक से फिल्मी दुनिया में अपनी दिलचस्पी दिखाना शुरू कर देता है। वो कुछ मॉडलिंग और एक्टिंग के कोर्स करता है। उन अभिनेताओं से जुड़ने की कोशिश करता है जिससे शांति ने पहले उसका परिचय कराया था। वो अभिनेता ख़ुशी से ॐ की मदद करते हैं और उसे एक स्ट्रांग और प्रेरक कहानी ले कर आने का सुझाव देते हैं। ताकि उस कहानी का प्रचार कर वो ॐ की एक तरह से मदद कर सकें।

ॐ कड़ी मेहनत करता है, और उन अभिनेताओं के सामने एक प्रेरक और अनूठी गुणवत्ता वाली एक कहानी प्रस्तुत करता है। वो अभिनेता वास्तव में इस कहानी को पसंद करते हैं। वो सब उसी कहानी को एक फिल्म प्रोड्यूसर के सामने प्रस्तुत करते हैं। वो कहानी उस प्रोड्यूसर को भी बहुत पसंद आती है, वो बस कहानी में कुछ छोटे-मोटे बदलाव करने के लिए कहता है। वो प्रोड्यूसर उस कहानी की शूटिंग शुरू करने के लिए पैसे इन्वेस्ट कर उस कहानी को एक दमदार फिल्म बना कर जनता के सामने प्रस्तुति हेतु एक टीम की व्यवस्था करने के लिए भी सहमत हो जाता है।

ॐ उस फिल्म के डायरेक्टर के रूप में अपनी भूमिका निभाने की इक्षा व्यक्त करता है। सब उससे सहमत हो जाते है। जल्द ही, शूटिंग शुरू हो जाती है और वो सब कड़ी मेहनत करते हैं। पांच साल बाद, शूटिंग पूरी हो जाती है, और वो सब उस फिल्म को बड़े पर्दे पर रिलीज करने की तैयारी में होते हैं।

अंत में, वह फिल्म स्क्रीन पर हिट होती है और यह एक ब्लॉकबस्टर फिल्म बनती हैं। यह सुपर डुपर हिट फिल्म होती है। सभी उस फिल्म की तहे दिल से सराहना करते हैं और स्वागत करते हैं।

कुछ दिनों के बाद, ॐ को एक और कहानी पर काम करने का प्रस्ताव मिलता है। जब वो सवाल उठाता है कि इस कहानी के पीछे कौन है, तो उसे पता चलता है वो शांति है। ॐ बिलकुल शांति की ही तरह फिल्मी दुनिया में कदम रखते हुए शांति से दोबारा मिलता है। इस बार ॐ खुद को शांति को शादी के लिए प्रपोज करने से रोक नहीं पाता है।

ॐ शांति को प्रोपोज करता है, और शांति उसे स्वीकार भी कर लेती है। कुछ दिनों बाद यह ब्रेकिंग न्यूज थी कि जल्द ही ॐ और शांति शादी के बंधन में बंधने जा रहे हैं।

यह वो दिन होता है जब उन्हें शादी करनी होती है। शादी के लहंगे में शांति बेहद खूबसूरत लग रही होती है। वो खुशी-खुशी शादी कर लेते हैं। उसके बाद उनका जीवन सुखमय व्यतीत होता है।

एक दूसरे के बंधन में बंधने के बाद शांति ॐ को उनके जीवन और दोनों की पूरी कहानी से अवगत कराती है। शांति ॐ को बताती है की उसे पहले से ही सब कुछ मालूम था। शांति और उसका परिवार बचपन से ही उसे फॉलो कर रहा था। शांति उसे ये भी बताती है कि कैसे ॐ ने उसे हासिल करने और उससे मिलने के लिए तीन बार जन्म लिया।

इन तीनो जन्मों में ॐ ने शांति को ही चुना था। शांति ॐ को पाकर खुद को भाग्यशाली महसूस करती है।

कहानी के पहले भाग में सही कहा गया है,

फिल्मों की तरह हमारी जिंदगी में भी अंत तक सब कुछ थिक हो ही जाता है, हैपी एंडिंग्स। और अगर ना मिले तो वो द एन्ड नहीं, इसका मतलब पिक्चर अभी बाकी है।

पार्ट- 1 की कहानी के अंत में ॐ और शांति एक-दूसरे से नहीं मिल पाए थे। तो, उन्हें मिलाने के लिए लेखक ने दूसरे भाग का निर्माण किया और कहानी को एक सुखद अंत दिया।

Happy Endings*****

डिस्क्लेमर- इस कहानी का पार्ट-2 पूरी तरह से लेखक की कल्पना है। सभी पात्र, लोग, स्थान काल्पनिक हैं। इसका वास्तविकता से कोई लेना-देना नहीं है। यदि आप इस कहानी में दिखाई गई किसी घटना को किसी अन्य कहानी या व्यक्ति की वास्तविक कहानी के समान पाते हैं, तो यह केवल एक संयोग है। लेखक का उद्देश्य केवल दर्शकों का मनोरंजन करना है। लेखक कभी भी इस कहानी के माध्यम से किसी समुदाय को आहत नहीं करना चाहता। यदि कोई व्यक्ति इस कहानी को अपने आप से जोड़ता है और दावा करता है कि यह पहले से ही उसके साथ हुआ है तो यह सिर्फ एक संयोग मात्र है और उस मामले में लेखक जिम्मेदार नहीं है।

Wednesday, March 9, 2022

आलस्य

स्थान- गांव

माहौल- शादी का


विवाहिता का घर


लड़की सीसे के सामने बैठा के विवाह के लिए तैयार कराई  जा रही है।


लड़की की माँ अंदर कमरे में प्रवेश करती है।


लड़की की माँ- सारी तैयारियां हो गई?


सजाने वालों में से एक महिला- जी, बस कुछ छण और।


लड़की की माँ- जरा मैं भी तो देखूं कैसी लग रही है मेरी लाडली।


लड़की की माँ- (सर से चुनरी हटाते हुए।)- वाह क्या चाँद सी चमक रही है।


लड़की की माँ- (थोड़ा ठहर कर)- ठीक है, तैयारियां जल्द ख़त्म करो।


सजाने वाली महिला।- जी।


थोड़ी देर बाद।


लड़कियों का शोर गूंजते हुए।  (बारात आ गई… आ गई..)


शादी की शारी रश्में पूरी होने के बाद।


जब लड़की विदा होने वाली होती है। तभी लड़के का भाई “सुजीत” कुछ दूर पर जाता। जब वो वहां से निकलता है तो उसकी माँ पूछती है “कहाँ जा रहा है रे”?


सुजीत- थोड़ी देर में आ रहा हूँ. वाशरूम..

सुजीत की माँ- जल्दी आ..


सुजीत सीधा अंदर जाता है और वहां उसे उस गांव की एक लड़की “रीता” जो की खुद को ब्याही जाने वाली लड़की की बहन बताती है, वो उसे मिलती है।


वो सुजीत से पूछती है “मुझे भूल तो नहीं जाओगे?

Sujit- बिलकुल नहीं।

Rita- मुझसे बातें करते रहना।

Sujit- हाँ, ठीक है।


“थोड़ा रुक कर।” लेकिन मैं बात कैसे करूंगा। तुम्हारा नंबर?

Rita- मुझे मालूम था। ये लो, पेपर शीट बढ़ाते हुए।

Sujit- Ooo! पहले से पूरी तैयारी में आयी थी।

Rita- और क्या?

Sujit- विल कॉल यू, बाय।


सुजीत बाहर आ जाता है।

Sujit ki maa- कितनी देर लगा दी, चल जल्दी चल।


लड़की विदा हो कर लड़के के घर आ जाती है।


कुछ दिनों के बाद।


लड़की अच्छे से घर में सेटल हो जाती है। सब बहुत प्रसन्न थे। अब घर में  सब को सुजीत की ही फ़िक्र थी, वो कैसे रहेगा? फ्यूचर में क्या करेगा? किसी को भी कुछ भी समझ में नहीं आता था। हर रोज उसका ड्रीम चेंज हो जाता था, कभी कहता की वो कुछ बनेगा, और कभी कहता की वो कुछ और बनेगा।


सब उसका मजाक उड़ाते और कहते ये तो कुछ नहीं करेगा, उसके पापा तो यहाँ तक कहते की ये तो बिना मतलब का है।


“ सुजीत के पापा एक रिटायर्ड पुलिस अफसर थे।  उसके बड़े भाई एक रेलवे इंजीनियर थे।  उसकी एक बड़ी बहन भी थी जो की एक NGO फर्म में काम करती थी। वो फर्म अबॉण्डेड बुजुर्गों की देखभाल करती थी, और लोगों से उनके केयर के लिए फण्ड इकठ्ठा  करती थी। उसकी बहन को सभी बुजुर्ग अंकल आंटीज बहोत मानते थे। उसके भैया से तकरीबन 1 साल पहले सुजीत की बहन का विवाह भी हो चुका था।  वो उसी शहर में अपने पति जो की एक डेंटिस्ट थे, उनके साथ रहती  थी।”


उनके बाद अब सुजीत, जो की घर का सबसे छोटा बच्चा था, सबको उसकी बहुत फिक्र थी।


सुजीत का बचपन से ही किसी भी चीज में मन नहीं लगता था। उसे बहुत सारी चीजें सिखाई गई, बहुत कुछ ट्राई किया गया, लेकिन उसने किसी चीज में कभी भी इंटरेस्ट नहीं दिखाया। हर चीज उसे बहुत ही कठिन लगती थी।


जब कभी भी वो किसी चीज को सीखने के लिए थोड़ा भी अपने दिमाग पर जोर देता तो उसका मन बोझिल हो जाता, और उसे ज़िन्दगी बहुत ही कठिन लगने लगती। वो तो यहाँ तक सोंचने लगता की आखिर ये ज़िन्दगी है ही क्यों?


उसके अजीब से सवाल और उसकी बातें सुन कर उसकी माँ बहुत दुखी हो जाती, और फिर उसे उस काम को छोड़ देने को कहती। फिर थोड़ी देर बाद वो मस्ती में हसने, खिलखिलाने लगता। जब उसे कुछ भी ना करने को कहा जाता तो वो बड़े आराम से या तो सो जाता, या फिर इधर- उधर घूम फिर आता। खाता- पीता ,और ज़िन्दगी को मजे से जीता।


लेकिन जैसे ही कुछ सीखने, कुछ करने, या कुछ मेहनत वाला काम आता, वो फिर से दुखी हो जाता, ज़िन्दगी को ताने देता, और भी विचित्र बातें करता। माँ उसका मुँह देख कर उसे कोई भी काम नहीं करने देती, और सारी बातें दुबारा रिपीट हो जाती।


वो पढ़ने में भी बहुत कमजोर था, और उसे क्लासेज में अक्सर बहुत से सब्जेक्ट्स में क्रॉस लग जाते। किसी तरह से  वो हाँथ जोड़ कर, टीचर्स के आगे गिड़गिड़ा कर एक्साम्स में पास मार्क्स जोड़-तोड़ कर लाता। कभी-कभी एक्साम्स के दौरान, उसके फ्रेंडस को उसका रोता हुआ चेहरा देख कर दया आ जाती, और वो उसे ऐनसर्स दिखा-बता कर उसे पास करा देते।


जैसे-तैसे उसने अपनी स्कूलिंग ख़तम की। भगवान् भरोसे वो 10th भी पास कर गया। और उसे अब इंटरमीडिएट का एग्जाम देना था।


उसके एग्जाम से कुछ ही दिन पहले उसके बड़े भाई की शादी में उसकी दोस्ती “रीता” से हुई थी। सुजीत ने वक़्त निकाल कर अपने फ्रेंड रीता को कॉल किया। उससे बातें कर के सुजीत को बहुत ही सुकून मिलता। वो बड़े ही उत्सुकता से हर रोज उससे फ़ोन पर बातें करने का इंतजार करता।


किसी को भी इस बात की भनक तक नहीं थी की सुजीत और रीता एक दूसरे से बात कर रहे हैं।


दिन बीता, महीने बीते,.. रीता ने सुजीत को जब बड़े प्यार से पढ़ाना शुरू किया तब, पहली बार सुजीत ने पढ़ाई में इंटरेस्ट दिखाया। वो फ़ोन पर ही सुजीत को पढ़ने के ट्रिक्स बताती, उन् ट्रिक्स का इस्तेमाल करके वो झट से सबकुछ पढ़ के समझ लेता। देखते ही देखते उसने इंटरमीडिएट का एग्जाम दिया और वो अच्छे नंबर से पास कर गया। उसके दोस्त भी हैरान थे की वो बिना उनके मदद के कैसे पास हो गया। सब अचंभित थे।


ये सिलसिला जारी रहा.. और इंटर के बाद वो ग्रेजुएशन भी पास कर गया। अब बारी थी उसके किसी अच्छे नौकरी पाने की। नौकरी पाने के लिए उसने बहुत से सरकारी नौकरियों के लिए ट्राई किया। लेकिन वो उसमें भी चयनित नहीं हो पाया। उसने कई तरह के बिज़नेस के लिए अपने पिता से  पैसे लिए, लेकिन सारे पैसे डूब गए, कुछ भी नहीं हो पाया। सब उससे निराश थे। हर बार, वो कुछ ना कुछ गवा देता, और अपने पिता का  नुक्सान करवाता।


फिर अंत में उसके पिता ने अपने एक ख़ास दोस्त से बात कर के उसे उनके ऑफिस में भेजना शुरू करवाया। वहां भी उसका किसी भी काम में मन नहीं लगा। उसके पिता के दोस्त भी उससे निराश थे लेकिन वो उसके पिता के कारण कुछ बोल नहीं पाते थे।


फिर उसके पिता को किसी ने सलाह दी की वो “सुजीत” की शादी करवा दें। जब सुजीत के शादी की बात शुरू हुई तब सुजीत ने सबको रीता के बारे में बताया। रीता भी सुजीत से शादी के लिए तैयार थी। किसी ने भी आपत्ति नहीं जताई, सिवाय उसके भाभी के।


“दरअसल रीता और सुजीत के भाभी के घरवालों के बीच उस गांव के एक जमीन को लेकर मतभेद था। दोनों घरों में दुश्मनी का माहौल था। सुजीत के भैया और भाभी के शादी के वक़्त उनलोगों ने गांव में कुछ तनाव का माहौल ना रहे इसीलिए ऊपर ऊपर से समझौता कर लिया था, इसीलिए उनका परिवार भी शादी में मौजूद था।


लेकिन जहाँ तक रही बात रिश्तों की, तो दुश्मन के घर की लड़की से शादी कराना उसकी भाभी को मंजूर नहीं था।


सबने बहुत समझाने की कोशिश की लेकिन सुजीत की भाभी नहीं मानी। घर में बिलकुल तनाव का माहौल था। अंत में सबके ख़ुशी के खातिर सुजीत और रीता ने अपने सम्बन्ध को तोड़ने का निर्णय लिया।  उनदोनों ने ये तय किया की वो अब कभी भी बात नहीं करेंगे।


फिर थोड़े दिनों बाद, फिर से सुजीत के लिए दूसरे रिश्ते आने शुरू हो गए। उनमें से एक लड़की सुजीत को पसंद आई, और उसने उससे शादी भी कर ली।


लेकिन, अभी भी सुजीत का रवैया बिलकुल पहले ही वाला था। वो बिलकुल भी मन लगा कर काम नहीं करता था। उसके पिता के दोस्त के दया के कारण वो ऑफिस में रोज जाता तो था। लेकिन उसका परफॉरमेंस सही ना होने के कारण उसकी अर्निंग बहुत कम थी जिससे उसका उसकी अकेले की सैलरी से अपना और अपनी पत्नी का पेट भरना मुश्किल था।


सुजीत और उसके परिवार का खर्चा सही से ना चलने के कारण उसे अक्सर अपने पिता से भी कुछ पैसे लेने पड़ते थे। कुछ दिनों बाद उसकी एक प्यारी सी बेटी हुई, जब उसकी बेटी स्कूल जाने लायक हुई, तो उसे एक और बेटी हुई। दोनों जोड़े को बेटे की लालसा थी, इसीलिए उनलोगों ने एक बार और प्रयास किया और अंत में उन्हें एक बेटा भी हुआ।


बीवी और बच्चों को, सुजीत के कमाई से पालना बहुत मुश्किल था, और सुजीत के पिता के पास भी ज्यादा पैसे नहीं रहते थे इसीलिए, सुजीत ने इधर-उधर से कर्जा मांग कर अपना जीवन यापन शुरू कर दिया। चुकी, सुजीत की अर्निंग कम थी, और वो कुछ अच्छी जॉब या अच्छी पोजीशन पर भी नहीं था इसीलिए उसके लिए शादी के अच्छे रिश्ते भी नहीं मिल पाए थे, और उसे मजबूरन एक गांव की एक अनपढ़ लड़की से विवाह करना पड़ा था। उसकी बीबी को खाना बनाने के अलावा किसी और काम में भी दिलचस्पी नहीं थी, इसीलिए उससे भी अर्निंग की उम्मीद नहीं की जा सकती थी। जब कर्जदारों ने उनके ऊपर अपना पैसा वापस लेने के लिए चढ़ाई शुरू की, तो घर की इज्जत बचाने के लिए सुजीत के बड़े भाई को पैसे का इंतजाम करके वो कर्जा चुकाना पड़ा।


धीरे- धीरे, ये रोज की बात हो गई। सुजीत कुछ सालों में नए कर्जदार इकट्ठे कर लेता, और उसके बड़े भाई कर्जा चुका देते।  सुजीत के पिता को भी जो पेंशन मिलती, वो पैसे भी सुजीत और उसके परिवार के ख़र्चे में ख़तम हो जाते।


जब ये शिलशिला जारी रहा तब धीरे- धीरे सुजीत की भाभी को फिर से गुस्सा आ गया। और उसकी भाभी ने सुजीत के भैया को पैसा देने से मना करने को कहा। इसपर  सुजीत के भैया और उनके पत्नी के बीच अनेकों बार झगड़े भी हुए। कई बार तो सुजीत के भैया को अपनी पत्नी से छुपा कर सुजीत को पैसे देने पड़ते थे।


जैसे-तैसे वक़्त निकला, और सुजीत के पिता की मृत्यु हो गई। कुछ दिनों बाद उसकी माँ भी चल बसी। सुजीत के बड़े भाई के अपने बच्चे थे, उनके दो बेटे और एक बेटी थी।


अपने परिवार का खर्चा उठाने में दिक्कत होने के कारण थक हार कर अंत में वो भी अब सुजीत को पैसे देने में असमर्थ से होने लगे थे।


अब तो सुजीत की बड़ी बेटी 7th में, छोटी बेटी 5th में, और उसका छोटा बेटा 2nd स्टैण्डर्ड में आ चुका था।


सुजीत को अपने परिवार का खर्चा निकालने का कोई भी उपाय नहीं सूझ रहा था। वो गरीबी और लाचारी की स्थिति में पहुँच चुके थे।


इधर ये सब चल रहा था, वही दूसरी तरफ


रीता की शादी हो चुकी थी, उसके भी दो बच्चे थे, एक बेटा, और एक बेटी।


रीता के शादी के कुछ चार साल बाद ही उसके हस्बैंड की डेथ हो चुकी थी। चुकी, रीता के हस्बैंड एक सरकारी बैंक ऑफिसर थे, इसिलए उसके स्थान पर रीता को बैंक में जॉब मिल गई थी। रीता अच्छा खासा कमा लेती थी। रीता के पैसों से उसके बच्चे एक सुकून भरी ज़िन्दगी जी रहे थे।


संजोग से कुछ सालों के बाद रीता का उसी शहर में ट्रांफर हुआ जहाँ सुजीत रहता था। जब वो उस शहर में आई तो उसने सुजीत से कॉन्टैक्ट किया। सुजीत बड़े प्रसन्न मन से रीता से मिलने जाता है और फिर धीरे-धीरे रीता और सुजीत के परिवार में घनिस्टता बढ़ जाती है। रीता अपने साथ साथ सुजीत के घर का खर्चा चलाने के लिए भी सुजीत को पैसे देना शुरू कर देती है।


अब सुजीत की ज़िन्दगी में फिर से खुशहाली लौट आती है। सुजीत की थोड़ी -बहुत अर्निंग और रीता के दिए हुए पैसों से, सुजीत और रीता दोनों का परिवार ख़ुशी-ख़ुशी जीवन यापन कर लेता था। देखते ही देखते रीता के बेटी की शादी हो जाती है। रीता की बेटी बहुत होनहार होती है, और वो अपने शहर की एक जानी मानी लॉयर बन जाती है। उसकी शादी भी उसी शहर के एक दूसरे लॉयर हुई होती है क्योंकि वो दोनों कोर्ट में ही मिले थे।


उसके कुछ सालों के बाद रीता के बेटे की भी उसके ऑफिस की एक लड़की के साथ शादी हो जाती है। रीता का बेटा एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर होता है और उसकी वाइफ भी।


अब सुजीत की सबसे बड़ी बेटी भी ग्रेजुएट कर चुकी होती है, वहीँ उसकी छोटी बेटी 12th, और उसका सबसे छोटा बेटा 7th में पहुँच चुका होता है।


जब सुजीत के बड़ी बेटी की शादी की बात चल रही होती है तभी रीता का फिर से ट्रांसफर होने की वजह से वो चली जाती है। और सुजीत बिलकुल अकेला पड़ जाता है।


वो फिर से कर्ज मांगने की सोंचता है, लेकिन बार बार कर्ज दे कर सब ऊब चुके थे इसीलिए कोई भी कर्ज देने को तैयार नहीं था। उसके बड़े भाई  भी अपने घर परिवार में ज्यादा खर्चे होने के कारण उसकी मदद में असमर्थ थे।


सुजीत का मन बिलकुल भारी हो गया था। वो समझ नहीं पा रहा था की अब क्या करें। वो बहुत दिनों तक परेशान रहा और फिर उसे अपने आप  पर गुस्सा आया की वो क्यों इतना सुस्त और असमर्थ है। फिर धीरे-धीरे उसने अपने आलस्य को त्यागना शुरू किया। उसमें एक अजब सा बदलाव आ गया। वो दिन-रात मेहनत करने लगा। उसके पिता के दोस्त उसकी मेहनत को देख कर बहुत ही गर्व महसूस करने लगे। उसने अपने एक साल के मेहनत में ही अपने कंपनी का नाम रौशन कर दिया। सब अचंभित और दंग थे की आखिर उसने ऐसा कैसे कर दिया।


उसकी कड़ी मेहनत से उसने एक ही साल के अंदर ढेर सारे पैसे कमाए। अपनी कंपनी में अच्छी पोजीशन पाया।  लाखों में उसकी सैलरी हो गई। ऊपर से उसे अलग-अलग करोडो के ऑफर्स आने लगे, और शहर के जाने-माने नामी लोगों में उसका नाम आने लगा। अन्ततः उसने ये  साबित कर ही दिया की अगर आलस्य इंसान को घेरे रहे तो इंसान सारी ज़िन्दगी बेकार रह सकता है, लेकिन जिस दिन से वो अपने आलस्य को उतार फेके, निश्चित रूप से उसकी ज़िन्दगी बदल सकती है। फिर उस इंसान को कभी भी दूसरों के आगे हाँथ फैलाना नहीं पड़ेगा। वो इंसान अपने दम पर होगा।


वक़्त के साथ सुजीत ने अपने दोनों बेटियों की शादी बड़े ही धूम धाम से करवाई। शहर के बड़े-बड़े लोग उन शादियों में आए। उसने अपने  छोटे  बेटे को भी आलस्य त्याग उससे कड़ी मेहनत करवाई। वो भी आगे चल कर बहुत ही होनहार बना। और इस तरह से सुजीत ने आलस्य को त्याग कर अपनी और अपने परिवार की ज़िन्दगी बदल दी।


डिस्क्लेमर- यह कहानी पूरी तरह से लेखक की कल्पना है। सभी पात्र, लोग, स्थान काल्पनिक हैं। इसका वास्तविकता से कोई लेना-देना नहीं है। यदि आप इस कहानी में दिखाई गई किसी घटना को किसी अन्य कहानी या व्यक्ति की वास्तविक कहानी के समान पाते हैं, तो यह केवल एक संयोग है। लेखक का उद्देश्य केवल दर्शकों का मनोरंजन करना है। लेखक कभी भी इस कहानी के माध्यम से किसी समुदाय को आहत नहीं करना चाहता। यदि कोई व्यक्ति इस कहानी को अपने आप से जोड़ता है और दावा करता है कि यह पहले से ही उसके साथ हुआ है तो यह सिर्फ एक संयोग मात्र है और उस मामले में लेखक जिम्मेदार नहीं है।

कॉलेज का सीन

राज के कॉलेज का पहला दिन था। राज बहुत ही घबराया हुआ था, क्योंकि उसे कॉलेज के बारे में बिलकुल भी आईडिया नहीं था। उसे उसके भैया मोटरसाइकल पर कॉलेज ले कर गए थे। चुकी ये कॉलेज का पहला दिन था तो स्टूडेंट के साथ पेरेंट्स को भी कॉलेज में बुलाया गया था ताकि पेरेंट्स, टीचर्स और स्टूडेंट्स एक दूसरे को अच्छे से समझ सकें।


कॉलेज के गेट के भीतर राज अपने भैया के मोटरसाइकल पे पीछे बैठे उनके साथ एंट्री करता है। उसके मोटरसाइकल के ठीक पहले एक कार अंदर जाती है। जहां वो कार रूकती है ठीक उसके बगल में राज की मोटरसाइकल रूकती है।  इधर राज और उसके भैया मोटइरसाईकल से उतरते हैं और ठीक उसी वक़्त उस कार से एक फॅमिली उतरती है, जिसमें एक लड़की, और उसके माता - पिता होते हैं।


राज और उसके भैया वहां से निकल कर नोटिस बोर्ड की तरफ जाते हैं जहाँ उन्हें पता चलता है की उनकी टीचर्स के साथ मुलाकात किस क्लास्सरूम में होगी।  वो वहां से सीधा क्लासरूम में पहुँचते हैं।  उसी दौरान वो कार से उतरी हुई फॅमिली भी वहां पहुँचती है। राज क्लासरूम के अंदर पहले जाता है, तभी उसके ठीक पीछे उस फॅमिली के साथ आई हुई लड़की भी वहां पहुँच जाती है।  वो लड़की राज से पूछती है की क्या ये मास-कॉम की क्लास है ?


चुकी राज पहले से घबराया हुआ होता है इसीलिए वो कुछ भी नहीं बोल पाता है। तभी उसके भैया वहां आ कर कन्फर्म करते हैं की हां वो मास-कॉम की ही क्लास है। इतने में उस लड़की के माता पिता वहां पहुँच जाते हैं और राज के भैया से पूछते हैं की क्या वो फर्स्ट ईयर के लिए वहां आए हैं। राज के भैया को ऐसा लगता है की शायद वो उसे भी स्टूडेंट समझ रहे हैं इसीलिए वो उन्हें राज की तरह इशारा करते हुए बोलते हैं की वो स्टूडेंट है और मैं उसे यहाँ लेकर आया हूँ। कृपया वो उससे पूछें।


तभी राज की नजर एक और लड़के पर पड़ती है, जो की उनके बाद में आकर बड़े ही तेजी पुरे क्लास को एक्स्प्लोर कर रहा होता है। 


थोड़ी देर बाद, टीचर्स क्लास में आ जाते हैं।  और सारे टीचर्स, पेरेंट्स और स्टूडेंट्स एक दूसरे से मिलना और बातें करना शुरू कर देते हैं। 


सारे वक़्त राज के भैया की नजर उस लड़की पर रहती है, जो की कार से लेकर उनके क्लास तक सबसे पहले उनके साथ थी।  वो ऑब्ज़र्व  कर रहे थे की वो लड़की कितनी फ़ास्ट है, और कितने तेजी से सारे ज़रूरी सवाल टीचर्स से पूछ पा रही है जबकि उसका भाई एक शब्द भी नहीं बोल पा रहा है। 


अंत में मीटिंग ख़तम होती है और सब अपने घर लौट जाते हैं। 


राज के हॉस्टल का सीन।


राज और उसके भैया बातें कर रहे होते हैं। 


राज के भैया राज को समझाते हैं की वो थोड़ा फ़ास्ट बने। और उन्होंने ने राज को सलाह दी की अच्छा रहेगा की वो उस लड़की से दोस्ती कर ले ताकि वो उस लड़की से कुछ सीख सके। 


राज रेगुलर कॉलेज अटेंड करना शुरू कर देता है। वो हर रोज सारे वक़्त उस लड़की को तलाशते रहता है, लेकिन वो उसे ढूंढने में नाकामयाब रहता है। 


एक दिन वो अपने क्लास में चुपचाप बैठा रहता है तभी उसके कुछ क्लासमेट्स उससे उसकी चुप्पी का कारण पूछते हैं। वो फिर भी खामोश ही रहता है। फिर वो अलग-अलग तरीकों से उसे उसकी चुप्पी तोड़वाने का प्रयास करते हैं। जब कोई भी तरीका काम नहीं करता है तब वो उसकी चुप्पी तोड़ने के लिए लड़कियों का सहारा लेते हैं। 


वो राज से पूछते हैं की बोलो तुम्हे किस लड़की से बात करनी है, तुम जिससे कहोगे उससे बात करवा देंगे तुरंत। राज कहता है की उसे किसी भी लड़की से बात नहीं करनी है। वो उसे फ़ोर्स करते हैं की किसी भी लड़की के तरफ उंगली कर दो वो उसी से बात करा देंगे। जब वो नहीं माने तब मजबूरन राज को एक लड़की के तरफ ऊँगली करनी पड़ी।


जिस लड़की के तरफ उसने इशारा किया था उसके पास उसके दोस्त उसे लेकर गए। 


उसे उसके ठीक पीछे के बेंच पर बैठाया गया। फिर उसके दोस्तों ने उस लड़की से कहा की ये तुमसे बात करेगा। 


जब उस लड़की ने अपना मुँह राज के तरफ किया तो राज चौंक गया।  ये वही लड़की थी जिसे वो इतने दिनों से ढूंढ रहा था। उसे देखते ही राज की पहले दिन वाली घबराहट फिर से शुरू हो गई। लेकिन उस लड़की ने सीधा सवाल किया, हाँ बोलो, क्या बोलना है?


डरते हुए, राज ने कहा मेरे दोस्त चाहते हैं की मैं तुमसे बात करूँ। 

उसने कहा - तो तुम बात करना नहीं चाहते। 

राज- मैं भी चाहता हूँ। 

लड़की- तो कहो, क्या कहना है ?

राज- (उसके तरफ हाथ बढ़ाते हुए ) हाय! मैं राज रंजन ( ऐसा बोलते वक़्त राज बुरी तरह काँप रहा था।)

लड़की- थोड़ा रुक कर और हसते हुए, कितना काँप रहे हो तुम)- फिर उसने भी बढ़ाया और हाथ मिलाते हुए बोली, मैं तनिष्का। 


फिर राज ने थोड़ी हिम्मत दिखाते हुए कहा- मैं इस वक़्त ज्यादा बात नहीं कर पाऊंगा। एक काम करो, मुझे अपना नंबर दे दो।  मैं तुन्हे कॉल करूँगा। 


ये देख कर तनिष्का के साथ बैठी लडकियां हसते हुए बोली। कितना फ़ास्ट है ये तो। अभी काँप रहा था और अभी नंबर भी मांग रहा है। इतने में तनिष्का बोली- कोई बात नहीं लाओ अपना मोबाइल मैं उसने अपना नंबर फीड कर देती हूँ।


और इस तरह से राज और तनिष्का की दोस्ती हुई।


राज ने रूम वापस आ कर शाम में अपने भैया को बताया की उसने उसी लड़की से दोस्ती कर ली है जिससे करने के लिए उसने कहा था। उसके भैया ने कहा, विश्वास नहीं होता।


ठीक है, अब पढ़ाई पे ध्यान दो। बस दोस्ती कर लिए, अच्छी बात है लेकिन, ज्यादा उधर ध्यान मत देना। जितना जरूरत हो उतना ही बात करना।


राज जब भी उससे बात करना चाहता, वो उसे जल्दी जवाब नहीं देती। ना तो क्लास में और ना ही व्हाट्सऐप चैट पर। राज ने उसके साथ कुछ टाइम स्पेंट करने का फैसला किया। फिर एक दिन वो उसे कॉलेज के कैफेटेरिया में कॉफी के लिए उससे पूछा। लेकिन उसने मना कर दिया।


ये बात पूरे कॉलेज में आग की तरह फ़ैल गई की राज ने तनिष्का को कैफेटेरिया में कॉफ़ी के लिए पूछा था।  इस बात की पुस्टि करने के लिए उसका एक मित्र "चन्दन" उससे व्हाट्सऐप चैट पर उससे पूछता है की उसने तनिष्का के साथ क्या किया। राज ये जानने का प्रयास करता है की उसे इस बारे क्या जानकारी मिली है और लोगों के बीच क्या कहानियां फैली हुई हैं।


लेकिन वो भी सीधी बात ना बता कर बातों को घुमाता फिराता है। उसी वक़्त चन्दन,क्लास के ग्रुप में किसी दूसरे विषय को लेकर एक पोस्ट शेयर करता है जिसमें राज को कुछ गलतियां नजर आती है और उस गलती पर दोनों के बीच पर्सनल चैट के साथ-साथ ग्रुप में भी बातें शुरू हो जाती है। पर्सनल चैट में तनिष्का, और ग्रुप चैट में उस विषय पर चन्दन की गलती, इनदोनो बातों पर एक लम्बी चर्चा होने के कारण चन्दन ने बात को ख़तम करने का आग्रह किया।


चुकी, राज को तनिष्का के बारे में जानना ज़रूरी लग रहा था की लोगों के बीच उसके और तनिष्का के बीच क्या बातें चल रही हैं, इसीलिए वो इस बात को ख़तम नहीं करना चाहता था। यहीं सोंच कर राज ने एक आखिरी बार कहा की, ठीक है इस गलती के बारे में बात बंद करते हैं लेकिन तनिष्का की बात को कंटिन्यू करते हैं।


राज इस बात को पर्सनल चैट में लिखना चाहता था लेकिन भूल वश कंफ्यूज हो कर उसने ये मैसेज ग्रुप चैट में भेज दिया। हालांकि उसने इस बात के लिए ग्रुप में माफ़ी मांगी। लेकिन ये बात तनिष्का तक पहुँच गई। और अगले ही दिन तनिष्का ने इस बात के लिए राज को दोषी करार दिया और उसे एक थप्पड़ भी जड़ दिया।


जब राज ने सबकुछ खुल कर एक्सप्लेन किया तो, तब तनिष्का ने उसे एक टुक्क कहा की "मुझे नहीं पता की क्या हुआ, लेकिन ये सबकुछ अभी बंद करो और मुझसे दुबारा कभी बात करने की कोशिश भी मत करना।


ये राज और तनिष्का की आखिरी मुलाकात थी। वो रोज एक दूसरे को देखते पर बात नहीं कर पाते। राज क्लास में फर्स्ट बेंच पर बैठता था और तनिष्का बगल वाले रॉ में लास्ट बेंच पर बैठती थी। राज से ज्यादा लोग बात नहीं करते थे इसिलए राज हमेशा अपने बेंच पर चुपचाप बैठा रहता था, लेकिन तनिष्का, राज के मुकाबले ज्यादा एक्टिव थी। वो हर रोज, राज के सामने से गुजर जाती थी, और राज बस देखता रह जाता था।


दिन बीते, महीने बीते, पर कोई बात नहीं हुई, सबकुछ वैसा ही चलता रहा। तभी एक दिन उनकी कहानी में एक मोड़ आया, कॉलेज के तरफ से उन्हें एक सेलिब्रिटी शो में वोल्युइंटेरिंग का ऑफर आया। उस में क्लास के बहुत सारे सूडेन्ट्स जा रहे थे, संजोग से राज और तनिष्का ने भी अपना नाम दिया। सब उस शो के लिए, दो दिनों के लिए उस "शो डेस्टिनेशन" पर सब एक साथ रुके।


उस डेस्टिनेशन पर ठहरने से पहले उन्हें उन सलेब्रिटीज, जिनके लिए वो शो होस्ट किया जा रहा था, उन सेलिब्रिटीज को प्रोमोट करना था।  प्रोमोशन के सिलसिले में सबने एक ग्रुप क्रिएट किया। और वहां ये तय हुआ की प्रोमोशन के लिए किसको कहाँ जाना है। 


उस डिवीज़न में राज और तनिष्का को एक ही जगह एक साथ एक ग्रुप में जाना था।  वो चार लोगों का ग्रुप था जिसमें राज और तनिष्का के अलावा दो और लोग मौजूद थे, जोएल और श्रेया। चुकी, श्रेया ने कहा था की वो वहां पहले ही पहुँच जाएगी। इसीलिए राज, तनिष्का, और जोएल को एक साथ उस प्रोमोशन के स्थान पर पहुंचना था। वहां पहुँचने के लिए उनलोगों ने तय किया की वो सब तनिष्का की कार से एक साथ जाएंगे।


इस बारे में तनिष्का ने अपने घर पे बात कर ली, और उसकी माँ ने उन्हें अपनी कार में साथ जाने की इजाजत दे दी।  वो सब तनिष्का की कार में बैठ कर प्रोमोशन के स्थान पर पहुंचे।  जब वो वहां पहुंचे तो उनलोगों ने श्रेया की तलाश शुरू की। उनलोगों ने पाया की श्रेया वहां एक बेंच पर अपने बॉयफ्रेंड के साथ बैठी हुई है।


वो भी वहां पहुंचे और श्रेया ने उन्हें अपने बॉयफ्रेंड राजवीर से मिलाया।  फिर सब ये बातें करने लगे की उन्हें प्रोमोशन कैसे करना है।  सब ने अपने अलग अलग तरीके बताए। फिर उनलोगों ये तय किया की हमसब अलग अलग दिशा में निकल जाते हैं, और जो भी मिले उसे अपने-अपने तरीके से शो के बारे में एक्सप्लेन कर के उन्हें शो की प्रमोशन पर्ची देंगे। फिर सब अपने काम में लग गए।


तनिष्का ने सबसे पहले कहा की वो प्रोमोट करने की कोशिश करने जा रही है, और वो अकेली निकल गई।  थोड़ी देर बाद उसने जोएल को इशारा किया और वो भी ये बोल कर निकल गया, की वो सुन कर आ रहा है की वो क्या कह रही है। फिर श्रेया, और राजवीर एक दूसरे बातें करने लगे और राज बोर महसूस करने लगा। थोड़ी देर बाद राज ने भी कहा "यू गाइस कैरी ऑन" मैं भी थोड़ा प्रमोशन कर के आता हूँ।


फिर राज भी निकला, और कुछ प्रोमोशंस किये। प्रोमोशन करने के दौरान बीच-बीच में वो अपने साथियों को भी देख लेता, की वो क्या कर रहे हैं। तभी उसने पाया की जोएल और तनिष्का, श्रेया और राजवीर के पास पहुँचते हैं, और फिर तनिष्का उनसे पूछती है की राज कहाँ है। तब श्रेया ने उसे बताया की राज प्रोमोशन के लिए आस पास ही गया है। फिर तनिष्का ने क्रॉस कवेश्चन किया की "वो अकेला क्यों गया, तुमलोग उसके साथ क्यों नहीं गए।


इतने में राज वहां पहुँच जाता है। और कहता है की उसने एक दो प्रोमोशंस किये हैं। फिर, राज, तनिष्का, और जोएल एक साथ प्रमोशन के लिए दोबारा निकल जाते हैं। एक दो प्रोमोशन और करने के बाद उन्हें कुछ खाने का मन करता है। फिर वो सब आइसक्रीम खाते हैं। उसके बाद राज, तनिष्का को जूते खरीदने में मदद करता है। फिर वो सब वहां से जाने के लिए निकलते हैं।


राज वहां से पहले ही निकल जाता है क्योंकि वहां से उसका घर नजदीक पड़ता है। उसके बाद वो सब वहां से निकल जाते हैं।


आख़िरकार वो दिन आ ही गया जब सब को एक साथ उस डेस्टिनेशन पर ठहरना था, और वो सब ठहरे भी। वहां पर उनसब ने बहोत सारी एक्टिविटीज की और बहुत कुछ सीखा भी। उस दौरान राज ने एक दो बार किसी काम के बहाने तनिष्का से बात भी की। वही पर एक शाम राज अकेले बैठ कर कुछ गाने गुनगुना रहा था। तभी वहां उसके पास एक दूसरी लड़की "इशिता" आई, जो की वहां आ कर उससे फिल्मों के बारे में बातें करने लगी। उस लड़की ने उससे कहा की उसे फिल्मों में बहुत ही इंटरेस्ट है। थोड़ी देर बाद इशिता का पीछा करते हुए उसका बॉयफ्रेंड "अभिनाश " वहां पहुंचा और वो उसे अपने साथ लेकर चला गया।


उस रात इशिता राज के पास दुबारा आई, और उसने राज को बाहर साथ में आइसक्रीम के लिए पूछा। दोनों वहां जाने ही वाले थे की तभी अभिनाश का फ़ोन इशिता के पास आया और उसे आइसक्रीम का प्लान कैंसिल करना पड़ा। लेकिन उसने राज को कहा की वो एक मिनट में राज को एक्टिंग की एक झलक दिखला सकती है की फिल्म मेकर्स कैसे सीन क्रिएट करते हैं। फिर वो राज को एक पेड़ के पीछे ले कर गई और उसने कहा की तुम चुपचाप खड़े रहना।


फिर उसने कहा, वहां से सबने हमें यहाँ पेड़ के पीछे आते हुए देखा, अब मैं अपना दुपट्टा लहराऊंगी और अपने कुछ कपडे आगे पीछे करूंगी। और अंत में अपना बाल पेड़ के एक तरफ दो तीन बार ऊपर से लेकर नीचे तक बाहर के तरफ फेकूँगी।  फिर मैं चली जाउंगी, और फिर थोड़ी देर बाद तुम भी निकल कर चले जाना।  फिर दोनों ने वैसा ही किया जैसा की इशिता ने कहा था।


जब सब अंदर थे, तभी थोड़ी देर के लिए लाइट कट जाती है।  उसी दौरान अँधेरे में श्रेया, राज का नाम लेकर पूछती है की राज कहाँ है, उसे उसने आख़िरी बार इशिता के साथ जाते हुए देखा था। तभी लाइट वापस आ जाती है, और राज को वही खड़े देख कर श्रेया ने कहा अरे राज तू यहाँ है, मैं सोंची तू कहाँ चला गया।


फाइनली वो शो अच्छे से होस्ट हो गया।  वहां सारे एक्टर, एक्ट्रेस आए।  सबने उनके साथ फोटोज भी क्लिक करवाई। और अंत में सब वापस अपने घर को लौट गए।


जब, सब वापस अगले दिन कॉलेज आए तब सबकुछ बिलकुल पहले ही की तरह था।  सब अपने-अपने काम में व्यस्त थे। राज उसी तरह अपने बेंच पर अकेला बैठा रहता। तनिष्का रोज उसके सामने से निकल जाती। उसके बाद राज और तनिष्का ने कभी भी बात नहीं की।


उसके बाद राज के लाइफ में कुछ नए दोस्त आए। राज ने उनलोगों का एक व्हाटसऐप ग्रुप क्रिएट किया जो की ज्यादातर आते जाते उससे बातें करते रहते थे। उस ग्रुप के माध्यम से वो सब बातें करते-करते एक अच्छे दोस्त बन गए। फिर वो सब एक साथ बैठने लगे। क्लास में पढ़ाई, और डिकशन भी करने लगे। वो ग्रुप बहुत ही अच्छा चला और फिर वो सब पढ़ लिख कर अच्छे नंबर से उस कॉलेज से पास आउट हो कर निकल गए।

Sunday, February 27, 2022

बर्फीला कॉटेज

लुकारा ने आत्महत्या कर ली जब उसके पति अजित ने उसे बताया किया कि वह लिसा से शादी करने की योजना बना रहा है, एक महिला जिसे वह एक केस की इन्वेस्टीगेशन करते समय लाचार और अनाथ अवस्था में मिली थी। लुकारा की मौत ने अजित और उसके बच्चों, जॉन और डीआना के जीवन को तबाह कर दिया था।

छह महीने बाद, अजित ने यह तय किया कि, वो, उसके बच्चे, और लिसा एक दूसरे को जानने के लिए उनके बर्फीले पहाड़ों पर स्थित उनके फैमिली स्टे कॉटेज में एकसाथ क्रिसमस फेस्टिवल मनाएंगे और एक अच्छा समय बिताएंगे। जॉन और डीआना उस इन्वेस्टिगेशन के केस के कुछ  वीडियो फुटेज को लेकर लिसा के अतीत की बातें करते हैं, जिसमें उसके माता-पिता के एक आग में जलकर मरने की खबरें होती हैं और उसका इल्जाम उनकी बेटी लिसा पर लगा होता है।

खबर को सच मानते हुए उस कॉटेज में, बच्चे लिसा को घ्रिणा भरी नज़रों से देखते हैं जैसे की वो कोई एक गुन्हेगार हो और उसके साथ अपने पिता के विवाह के प्रस्ताव को मना कर देते हैं। उसी वक़्त अजित को कुछ ऑफिसियल काम से शहर वापस जाना पड़ता है और वो चला जाता है।  लिसा की बेचैनी उस वीडियो फुटेज और उस खबर के बारे में सोंच कर बढ़ जाती है, जिसके कारण उसे अपने माता -पिता के बारे में बुरे सपने आते हैं।


सुबह में, लिसा को पता चलता है कि उसका सामान - जिसमें उसके कपड़े, मनोरोग की दवा और उसका एक पालतू कुत्ता शामिल हैं - गायब हैं, साथ ही, खाने का सामान और क्रिसमस के लिए की गई सजावट भी गायब हैं। उनके सभी मोबाइल फोन बंद हैं और पावर सप्लाई भी जा चुकी है। लिसा को ऐसा लगता है कि बच्चे उसके साथ मजाक कर रहे हैं, लेकिन उनका सामान भी गायब है। उसने देखा कि डिजिटल क्लॉक में तारीख, दो दिसंबर से बढ़कर नौ जनवरी हो चुकी है। तभी जॉन वहां आता है और लिसा को बताता है कि उसने सपना देखा कि गैस हीटर खराब हो गया है और उन सभी का दम घुट गया है, और डर व्यक्त करता है कि वो मौत के बाद के जीवन में हो सकते हैं।


अगले कुछ दिनों में, लिसा अनेक दुखों का सामना करती है। उसकी चिंताएं बढ़ जाती हैं, उसे दवा की कमी महसूस होती है, भूख और ठंड के आगे वो खुद को झुकी हुई और नीरस महसूस करती है - कुछ दिनों बाद वो नींद में चलना शुरू कर देती है, और परेशान करने वाले दृश्यों और सपनों से पीड़ित होती है, जिसमें उसके माता -पिता की तड़पती और चीखती हुई आवाजें भी शामिल होती है। 


उसे उस कॉटेज में एक रहस्यमई  क्रॉस-शेप्ड दरवाजा मिलता है जहाँ से ठंडी हवाएं आ रही होती है। उस दरवाजे को खोलने पर उसे एक गलियारा दिखता है। वो उस गलियारे में जाती है और वहां से उसे निकटतम शहर में जाने का रास्ता दिखता है, उस रस्ते से वो भागने का प्रयास करती है, जहां वह देखती है कि उसके पिता खड़े हैं और उसकी ओर उंगली दिखा रहे हैं।


वह अंततः उस रास्ते से दूसरी तरफ भागती हुई एक सर्किल में घूमती है, और वापस कॉटेज में आ जाती है। कॉटेज में आने से पहले उसे बर्फ से ढका हुआ एक स्मारक दिखता है, जहाँ उसे जॉन और डीआना की एक तस्वीर मिलती है, और अंदर, बच्चे प्रार्थना कर रहे होते हैं, उनके पास एक अखबार का लेख होता है जिसमे ये खबर होती है की, जिस दिन वो लॉज में आए थे उस तारीख में लॉज में गैस हीटर के खराब होने पर कार्बन मोनोऑक्साइड की अधिकता होने के कारण वो तीनों मर चुके हैं। जॉन जोर देकर कहता है कि वो ताबूत के अंदर हैं और उन्होंने अपनी तस्वीर को स्मारक के दरवाजे पर सबूत के रूप में लटका दिया है कि वे मर चुके हैं, केवल बेवजह जीवित रहने के लिए।


लिसा को एक नर्वस ब्रेकडाउन होता है, जो तब और तेज हो जाता है जब वह अपने कुत्ते को बाहर मौत के लिए जमा हुई पाती है। वह इस बात से चिंतित होती है कि उसका कुत्ता तकलीफ से मर सकता है। बच्चे अंततः स्वीकार करते हैं कि वो उसे पूरे समय परेशान कर रहे हैं, उसे नशे में रख रहे हैं, सारे सामानो को ऊपर के छज्जे पर छुपाया है, नकली मृत स्मारक फ्रेम बनाया है, और वायरलेस स्पीकर के माध्यम से उसके माता-पिता की चीखो की रिकॉर्डिंग उसे सुनाई है।


अंत में अपने स्वयं के बंद फ़ोन के साथ, बच्चे पावर सप्लाई को जेनेरेटर के माध्यम से वापस  लाने और लिसा को उसकी दवा दिलाने का प्रयास करते हैं, लेकिन उन्हें विश्वास हो जाता है कि वे मरने वाले हैं और वो ईश्वर से उनकी मौत को स्वीकार करने की प्रार्थना करते हैं।


उस रात, बच्चे, लिसा को खुद को चूल्हे की आग में जलाकर मारने का प्रयाश करते हुए देखते हैं। वे नकली स्मारक जैसे दिखने वाले दरवाजे के पीछे छिप जाते हैं लेकिन लिसा सुबह उनका सामना करती है, और जोर देकर कहती है कि उन्हें ईश्वर के लिए कुछ बलिदान करना चाहिए।" उसी वक़्त अजित, लिसा के माता-पिता के मौत के केस में कुछ सबुत हासिल करने के बाद वापस लिसा की खोज करते हुए अपनी बन्दुक के साथ वहां पहुँचता है। अजित को टेबल से ठोकर लगती है और उसके हाथ से बन्दुक फिसल कर निचे गिर जाती है और लिसा के पैरों के पास जा पहुँचती है।


लिसा बच्चों को अपने साथ हुए दुर्व्यवहार के लिए दोषी मानती है और उनपर गोलियां चलाती है। भागादौड़ी में गोली अजित को लग जाती है और उसकी तत्काल मौत हो जाती है। जॉन और डीआना, कार से भागने की कोशिश करते हैं, लेकिन बर्फ में फंस जाते हैं। अंततः बच्चों को वापस कॉटेज में आना पड़ता है, जहां लिसा उन्हें उनके पिता की लाश के साथ खाने की मेज पर बिठाती है और गाती है, मेरे ईश्वर के पास, तुम्हारे लिए कुछ है। वह बंदूक से उन्हें डराते हुए उनके मुंह को टेप से चिपका कर उनके हाथों को बाँध देती है।


और फिर उन्हें बताती है की उसके माता-पिता ने उसे उसके प्रेमी से विवाह करने से मना किया था और उसके साथ दुर्व्यवहार किया था जिसका बदला लेने के लिए उसने उन्हें जला कर मार दिया था।  तभी अजित उस मर्डर केस की जांच पड़ताल करते हुए उस तक पहुंचा और उसे बेबस और लाचार समझ कर उसके साथ विवाह करने का प्रस्ताव रखा था। लेकिन इन् बच्चों के कारण उसने अजित को भी खो दिया है। उसके बाद वो बच्चों को कॉटेज में छोड़ कर भाग जाती है।


डिस्क्लेमर- यह कहानी पूरी तरह से लेखक की कल्पना है। सभी पात्र, लोग, स्थान काल्पनिक हैं। इसका वास्तविकता से कोई लेना-देना नहीं है। यदि आप इस कहानी में दिखाई गई किसी घटना को किसी अन्य कहानी या व्यक्ति की वास्तविक कहानी के समान पाते हैं, तो यह केवल एक संयोग है। लेखक का उद्देश्य केवल दर्शकों का मनोरंजन करना है। लेखक कभी भी इस कहानी के माध्यम से किसी समुदाय को आहत नहीं करना चाहता। यदि कोई व्यक्ति इस कहानी को अपने आप से जोड़ता है और दावा करता है कि यह पहले से ही उसके साथ हुआ है तो यह सिर्फ एक संयोग मात्र है और उस मामले में लेखक जिम्मेदार नहीं है।

Tuesday, January 18, 2022

A Hectic Day in Boys PG

A moisturized and cold room with two beds in a boy PG. Two boys, relaxing on their beds and facing internet problems. One of them was worried about his missing online classes and another one hiding his unemployment fact and pretending to express his office hard work on a silly freelancing task in which payment is uncertain.

The unemployed boy was very excited last night regarding his upcoming interview the Next morning. His entire night was full of fairy tales and future dreams, that how he will maintain his future lifestyle with the money of that job whatever he obtains from his new work. Once he clears his interview, his life will be a boom.

He had planned for the upcoming morning when he would wake up early after finishing his all works, would be at the venue as a superhero. After being there, he will give all answers to the raised questions adequately. He was damn sure about his future that he goanna crack that interview and no one to take that job other than him.

He was waiting for the night to end. At last, he was only a few hours far from the waiting moment as the sunlight had arrived on the earth. He felt relaxed that soon going to start preparing to reach the venue. In a relaxing state, he slept for a few minutes. When he opened his eyes, he had only 30 minutes left to be at the venue, and for that, he needed 2 hours metro traveling.

He was good at planning, so he decided to travel by cab to be there at least with a delay of 45 minutes. He was in speed, but instead of quick work, he realized that it would be a wastage of time going there. He remembered the first impression as the last impression, so he left his interview, and in a sad mood, he slept again.

When he woke up again, he had another challenge to face. He found that Wi-Fi was not working in his PG, as it was making them upset.

Now, the thing is that he and his roommate is waiting for the internet to run again. His roommate’s online classes are missing so, trying to get away to attend the classes. At last, he decided to recharge his mobile by getting an unemployed guy’s hotspot because he could manage work using his internet data.

As he recharged, he had another problem that he couldn’t run his mobile data inside his room. Then, he tried to find a way to continue his classes. He roamed around and found that he could continue his online sitting outside of his room in the cafeteria region of the PG.

On the other hand, the unemployed guy had also thought of spending the rest of their time well. He decided to write something random. So, firstly he worked a bit on the assigned freelancing work from his available data. Then, he wrote something like whatever he was facing already.

A hectic day in a Boys PG, Part-2

An unemployed, in a P.G., was facing Wi-Fi trouble and pretending to do his office work. Somehow, he could manage his first day by utilizing his internet data. But the situation was the same on next day.

He assumed how long he had to manage such a situation, and finally, he decided to go and talk to the management regarding the solution to such a critical situation.

When he went there, he found many boys standing there already for the same. The manager raised that issue online to the concerned people and talked to him. At last, another staff informed, of another source, and that source started working immediately. He was back in his room in a happy mood and applied that source to continue his work.

As he started working within two minutes, that source also get-off and he was again into the same trouble. Somehow, he managed his work using personal data.

At last, he was tired of such an irritating situation. He was not getting what to do next. Then, he thought to continue his freewriting story regarding whatever he was facing at that moment. He wrote some stuff, and then he got stuck in-between on the same for long.

He felt blank and was not getting a single word in his head. He was frustrated for that moment. Then he decided to step out to have some inquiry regarding that critical condition he was facing. Making such a decision, he applied the same.

After applying that, the connection was again fine. At last, the things again, customized as could resume work peacefully.

His next day was also a little bit hectic, but it was not that much, as some things were favourable. He updated his job searching profiles and created a list of 4 relevant jobs from search apps. As he had expected, those jobs suited him as per his profile and experience. Therefore, he decided to call them separately.

The call he did resulted, two interviews and one sample writing had scheduled for him. He wrote one quality sample content and submitted that. For the rest of his day, he focused on the project on his was working on already. He continued the same thing the next day as well.

Finally, there was the day when he had to attend the same for which he had applied two days back. Keeping in mind the past scenario regarding his interview, he was double attentive to it. As a result, he was at the venue within the given time.

He stepped into that office and found a friendly environment inside. He attempted that interview in confidence. Then reached the next venue with a response that they call him if he is selected.  The same thing happened with him at that venue as well. Finally, he was back in his room.

Then he did some work on his assigned project through which he ended his day. The next day when he woke up then he received a call regarding another interview. After getting ready, he again went to his new venue.

He performed well as always and was back in his room by lunchtime. After having some lunch, he rested for minutes, and then he was out for taking printouts of some new resumes. Before starting, he modified his resume a little bit as he had realized some changes that could increase the chances of getting more calls from recruiters.

After having an updated resume, he again focused on his projects. Finally, he ended his day by working on the same.

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What is Writer's Block And What are the Ways to Overcome it? Every Writer encounters the frustrating problem of writer's block at s...