Friday, August 5, 2022

जब धरती पर प्रकाश आता है, तब आसमान में लाली छा जाती है।

 “जब धरती पर प्रकाश आता है, तब आसमान में लाली छा जाती है।”


ऐसा चंदू पानवाले ने प्रकाश भैया को देख कर कहा।


प्रकाश भैया अपनी गर्लफ्रेंड लाली से बहुत ही प्यार किया करते थे। उनकी गर्लफ्रेंड एक रेस्टुरेंट के ऊपर वाले माले पर रहा करती थी। जब कभी भी प्रकाश भैया को, लाली को देखने का मन होता तब वो छगन वाला रेस्टुरेंट में खाने को आते और वहां पहुँचने से पहले, लाली को फ़ोन करके बालकोनी में आने के लिए बोल देते। लाली दौड़ कर बालकोनी में आ कर खडी हो जाती।


फिर क्या था, ऐसा दृश्य देखकर चंदू पानवाले वही लाइनें दोहरा दिया करते “जब धरती पर प्रकाश आता है, तब आसमान में लाली छा जाती है।”


प्रकाश भैया के पापा शहर के बहुत रईस इंसान थे। उनके पास पैसों की कोई कमी नहीं थी। आए दिन उनके पापा प्रकाश भैया को लाखों रुपये यूंही उड़ाने के लिए दे दिया करते। और हमारे प्रकाश भैया उन पैसों को बड़े प्यार से लाली की शॉपिंग से लेकर उसके खाने-पीने और उसके घर के एक छोटे से लेकर छोटे सामान पर खर्च किया करते।


लाली भी प्रकाश भैया से बहुत खुश रहा करती थी। जब कभी भी लाली को किसी भी चीज की ज़रुरत होती या फिर कुछ पैसों की ज़रुरत होती तो वो प्रकाश भैया को कॉल कर देती। और प्रकश भैया झट से लाली की सारी ज़रूरतें पूरी कर दिया करते।


लाली को बड़ा आराम था। क्योंकि उसके माता-पिता उसके लिए जो भी पैसे भेजा करते थे वो पैसे बच जाते थे क्योंकि उसका सारा काम प्रकाश भैया के पैसे से हो जाता था। 


दरअसल, लाली के माता-पिता को सिर्फ इतना ही पता था की लाली उस रेस्टुरेंट के ऊपर वाले माले के फ्लैट में अपनी दोस्तों के साथ रहा करती है और सारी लडकियां एक साथ पैसे मिला कर सभी चीजों पर खर्चा किया करती हैं। इसीलिए वो उसे बराबर पैसा भेजा करते थे। 


लेकिन, सच तो ये था की लाली उस बड़े फ्लैट में अकेले रहा करती थी और प्रकाश भैया वहीँ उनसे मिलने आया-जाया करते थे। 


सबको मालूम था, सिवाय प्रकाश भैया के माता-पिता के।


प्रकाश भैया ने सारे शहर को पैसों के दम पर मिला रखा था, और इस बात के लिए भी राजी कर रखा था की कोई भी उनके माता-पिता को उनके और लाली के बारे में कुछ भी ना बताए।


प्रकाश भैया के पापा का 12 महीने उगने वाले केले का बिज़नेस चलता था। थोक के थोक अनेकों जमीनों पर एक साथ बहुत सारे केले ऊगा करते थे। जिसकी बिक्री से उनके पास पैसों की कोई कमी नहीं थी। उनके पापा आए दिन अलग-अलग राज्यों और शहर में केले के खरीदारी की बात को लेकर मीटिंग अटेंड करने आया-जाया करते थे। और ज्यादातर हफ़्तों-हफ़्तों तक  काम के सिलसिले में घर से बाहर ही रहा करते थे।


और प्रकाश भैया की माँ भी हमेशा घर के अंदर ही रहा करती थी।  उन्हें घर से बाहर निकलने की इजाजत नहीं थी। उनके घर के बाहर के कामों के लिए हर वक़्त 10 लोग खड़े रहते थे। और वो 10 लोग सिर्फ प्रकाश भैया का आदेश माना करते थे।


जब सबकुछ प्रकाश भैया के हाँथ में था, तब उनके माता-पिता को क्या ख़ाक पता चलने वाला था।


वो बड़े आराम से मस्ती भरी ज़िन्दगी गुज़ार रहे थे।  तभी अचानक से एक दिन उनकी ज़िन्दगी में एक तूफ़ान आया। 


किसी तरह से प्रकाश भैया के पापा को प्रकाश भैया और लाली के बारे में पता चल गया।


एक दिन क्या हुआ था की जब प्रकाश भैया लाली से मिलने गए हुए थे तभी लाली के घर की घंटी बजी, प्रकाश भैया ने दरवाजा खोला। और प्रकाश भैया ने सामने अपने पापा को खड़ा हुआ पाया।


प्रकाश भैया के पापा को ये खबर उनके किसी दुश्मन के द्वारा मिली थी। वहा जब उन्हें ये खबर सही मालूम पड़ी तो उन्होने प्रकाश भैया को अपने घर से बाहर निकाल दिया।


प्रकाश भैया के सारे अकाउंटस् को भी सीज कर दिया गया। प्रकाश भैया के पास जो बचे हुए पैसे थे उन्हें लेकर वो लाली के साथ उसके फ़्लैट में रहने लगे। इतने दिनों में लाली ने जो भी पैसे बचाए थे, वो पैसे भी प्रकाश भैया के काम आने लगे।


अब रेस्टोरेंट वाले भी प्रकाश भैया को देख मुँह फेर लिया करते, क्योंकि उनके पास खाने के बाद रेस्टुरेंट वालों को देने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं थे। कुछ रेस्टुरेंट वाले अगर तरस खा कर उन्हें मुफ्त में खिलाने के लिए अगर ऑफर भी करते तो शर्म के मारे वो खुद खाने से मना कर देते। कुछ लोग तो उन्हें हस देते की गर्लफ्रेंड के पैसे से खाना और घूमना- फिरना करता है।


ऐसे में प्रकाश भैया को खुद पर गुस्सा आया और उन्होंने अब खुद नौकरी करके पैसे कमा कर खर्च करने का फैसला लिया। उन्होंने अनेकों जगह पर जॉब के लिए इंटरव्यू दिया और रिजेक्ट भी हुए।  उन्होंने हार नहीं माना, और कोशिश करते रहे। अंत में उन्हें एक जगह से कॉल आया और वहां उन्हें अच्छी तनख्वाह पर नौकरी का ऑफर भी आया। वो झट्ट से उस जॉब को ज्वाइन कर लिए। उन्होंने महीने भर जरा बचा-बचा कर पैसे खर्च किया जिससे उनकी सेहत भी थोड़ी डाउन हो गई। पर जब उन्हें उनकी पहली सैलरी मिली तब वो पूरे गर्व के साथ उन् सभी रेस्टुरेंट में अपनी कमाई के खर्चे से खाना खाया और हर एक हसने वालों को मुँह तोड़ जवाब दिया। 


पूरे एक साल के अंदर प्रकाश भैया ने अच्छा-खासा पैसा कमा कर जमा कर लिया, और अगले साल उन्होंने अपने जमा किये हुए पैसे से एक गन्ने की खेती का बिज़नेस खड़ा कर लिया। वो अच्छे क्वालिटी का गन्ना बेचा करते थे, इसीलिए तेजी से उनके ग्राहक बढ़ने लगे। अगले 2 से 3 साल के अंदर उनका बिज़नेस सातवे आसमान को छूने लगा।  उनका गन्ना का बिज़नेस उनके पिता के केले के बिज़नेस से भी अच्छा चलने लगा। ये सब देख कर उनके पिता को उनपर गर्व हुआ और साथ ही साथ उन्हें अपनी गलती का एहसास भी हुआ। 


अंत में वो अपने बेटे प्रकाश से मिलने गए, उनसे अपनी ग़लती की माफ़ी भी मांगी और साथ ही साथ उनके और लाली की धूम-धाम से विवाह करने का वचन भी दिया। प्रकाश भैया को बहुत दिनों के बाद अपने पिता का प्यार वापस मिल रहा था इसीलिए वो भी मान गए। कुछ ही दिनों के अंदर लाली के घर वालों को सारी जानकारियां मिली। पहले तो उन्हें लाली के ऊपर गुस्सा आया क्योंकि उसने उनसे झूठ बोला था। लेकिन जब उन्हें प्रकाश भैया और उनके द्वारा किये गए कड़ी मेहनत के बारे में पता चला तब उनलोगों ने भी प्रकाश भैया और लाली के रिश्ते को स्वीकार कर लिया। वो प्रकाश भैया जैसे दामाद को पा कर बहुत खुश थे।


शादी के बाद प्रकाश भैया और लाली उसी फ्लैट में एकसाथ ख़ुशी-ख़ुशी रहने लगे। अब भी जब प्रकाश भैया शाम को जब घर लौटते हैं तो वो लाली को फ़ोन करके बालकोनी में आने के लिए कहते हैं और ये दृश्य देख कर चंदू पानवाले वही डायलाग मारते हैं। 


"जब धरती पर प्रकाश आता है, तब आसमान में लाली छा जाती है।”


डिस्क्लेमर- यह कहानी पूरी तरह से लेखक की कल्पना है। सभी पात्र, लोग, स्थान काल्पनिक हैं। इसका वास्तविकता से कोई लेना-देना नहीं है। यदि आप इस कहानी में दिखाई गई किसी घटना को किसी अन्य कहानी या व्यक्ति की वास्तविक कहानी के समान पाते हैं, तो यह केवल एक संयोग है। लेखक का उद्देश्य केवल दर्शकों का मनोरंजन करना है। लेखक कभी भी इस कहानी के माध्यम से किसी समुदाय को आहत नहीं करना चाहता। यदि कोई व्यक्ति इस कहानी को अपने आप से जोड़ता है और दावा करता है कि यह पहले से ही उसके साथ हुआ है तो यह सिर्फ एक संयोग मात्र है और उस मामले में लेखक जिम्मेदार नहीं है।


The End

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