रेडियो का नाम सुनते ही लोगों के मन में एक नॉस्टेल्जिया सी दौड़ जाती है। सुबह सुबह मम्मी का रेडियो पर भजन सुनना हो, या चाय के साथ पापा का शहर के इसुज पर अपडेट लेना हो। ऑफिस जाते हुए या ऑफिस से लौटते हुए। कार में खुद को एंटरटेन करना हो या रात को हैडफ़ोन के साथ रोमांटिक गाने सुनना हो। रेडियो हर एज ग्रुप का हिस्सा है। आज भी लोग रेडियो स्टेशन विजिट करने को या अपने फेवरेट आरजे से मिलने को बेताब रहते हैं।
सलाम नमस्ते, लगे रहो मुन्ना भाई, और तुम्हारी सुल्लू, जैसी फिल्मों ने रेडियो को और भी ज्यादा पॉपुलर बना दिया है। और आज मैं आपको बताऊंगा की आप कैसे अपना खुद का रेडियो स्टेशन खोल सकते हैं। तो चलिए ले चलते हैं आपको इस फैसिनेटिंग जर्नी पर, अगर आपको रेडियो के बारे में आपको ज्यादा जानकारी नहीं है तो आपको मैं बता दूँ की रेडियो कॉमनली तीन तरह के होते हैं।
सबसे पहला है "एफएम रेडियो", इंडिया में सबसे ज्यादा एफएम रेडियो को ही सुना जाता है, एफएम का मतलब है फ्रीक्वेंसी मॉड्यूल, यानि इस रेडियो को सुनने के लिए आपको सेट पर एक डेडिकेटेड फ्रीक्वेंसी सेट करनी पड़ती है। जैसे दिल्ली में अगर आप आल इंडिया रेडियो के एफएम रेनबो को सुनना चाहते हैं, तो आपको 102.6 मेगा हर्ट्ज़ लगाना पड़ता है।
इसी तरह दूसरे किसी रेडियो स्टेशन के लिए दूसरी फ्रीक्वेंसी होती है। एफएम रेडियो भी दो तरह के होते हैं, गवर्नमेंट जैसे की आल इंडिया रेडियो की एफएम रेनबो और प्राइवेट जैसे की मिर्ची, रेड एफएम, माय एफएम, रेडियो सिटी। इनका रेंज 30 से 50 किलोमीटर के दायरे में होता है, बेसीकली एफएम रेडियो सिटी सेंट्रिक होते हैं।
दूसरे टाइप में आते हैं कम्युनिटी रेडियो स्टेशन, कम्युनिटी रेडियो भी एफएम टेक्नोलॉजी से चलता है, पर ये किसी यूनिवर्सिटी, कॉलेज या एनजीओ को मिलता है। जो ज्यादातर अपने आस पास के एरिया के डेवलपमेंट के लिए काम करते हैं। एजुकेशनल प्रोग्राम चलाते हैं और लोगों के विकाश और सोशल वेलफेयर पर बात करते हैं। इनकी रेंज पांच से दस किलोमीटर के दायरे में सिमित होती है।
तीसरा है, ऑनलाइन या डिजिटल रेडियो। इस तरह के रेडियो की कोई फ्रीक्वेंसी नहीं होती है, इनका अपना मोबाइल एप्लीकेशन होता है, जिसे डाउनलोड करके आपको सुनना पड़ता है, इनका फायदा ये होता है की इन्हे इंटरनेट के जरिये पूरे दुनिया के किसी भी कोने में सुना जा सकता है।
तो रेडियो के टाइप्स जानने के बाद अब बात करते हैं, एक रेडियो स्टेशन सेटअप करने की। इंडिया में ज्यादातर एफएम रेडियो स्टेशन किसी बड़े मीडिया हाउस, टीवी चैनल, न्यूज़पेपर, यूनिवर्सिटी, बिज़नेस हाउस ओन करते हैं। क्योंकि रेडियो स्टेशन खोलना कोई मामूली बात नहीं है। इनमें बहुत ज्यादा इन्वेस्टमेंट की जरूरत पड़ती है, लाइसेंस का खर्चा ही करोड़ों में आ जाता है। इसीलिए अगर इसे सही से मैनेज ना किया जाए तो कंपनी डूब सकती है या रेडियो स्टेशन बंद करना पड़ जाता है।
सिर्फ कम्युनिटी रेडियो स्टेशन का खर्चा थोड़ा कम है, इसीलिए ये अफोर्डेबल है। साल 2002 में गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया ने कम्युनिटी रेडियो को बढ़ाने का फैसला लिया था। जिसके चलते सिविल सोसाइटी या वोलुएंट्री ऑर्गनाइज़ेशन यूनिवर्सिटी, कृषि विज्ञान केंद्र, कोई रजिस्टर्ड सोसाइटी, ऑटोनोमस बॉडीज, पब्लिक ट्रस्ट जो सोसाइटीज एक्ट में रजिस्टर्ड है, एजुकेशनल इन्स्टिचुशन, कोई यूनिवर्सिटी, इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट वगैरह भी कम्युनिटी रेडियो स्टेशन के लिए अप्लाई कर सकते हैं।
अगर आप कम्युनिटी रेडियो स्टेशन खोलना चाहते हैं तो ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग कंसल्टंटैंट इंडिया लिमिटेड से कांटेक्ट कर सकते हैं। ये ऑर्गनाइज़ेशन जो बेसिल नाम से ज्यादा पॉपुलर है और गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया के एंटरप्राइज के तौर पे काम करती है, ये कम्युनिटी रेडियो स्टेशन खोलने में आपकी पूरी-पूरी हेल्प करती है। इनकी सर्विस में आपके सारे सवाल, पूरे डाउट्स क्लियर करना, आपको पूरी जानकारी देना, लाइसेंस के लिए अप्प्लाई करने में आपकी हेल्प करना, और पूरा सेटअप बनवा कर देना शामिल होता है।
गूगल पर अगर आप सर्च करेंगे हाउ तो स्टार्ट रेडियो स्टेशन इन इंडिया तो आपको बेसिल की वेबसाइट दिखाई देगी। जिसपे कम्युनिटी रेडियो खोलने की सारी गाइडलाइन्स आपको मिल जाएगी। और अब बात करते हैं एफएम रेडियो स्टेशन खोलने की क्योंकि इंडिया में ये काफी ज्यादा पॉपुलर है, और आपको इंडिया के हर बड़े शहर में आपको सुनने को मिल जाएंगे।
तो यहाँ पर सबसे पहले बात करते हैं लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन की। एफएम रेडियो स्टेशन खोलने के लिए आपको इंतजार करना पड़ता है की सेंट्रल गवर्नमेंट की तरफ से मिनिस्ट्री ऑफ़ ब्राडकास्टिंग कब अनाउंसमेंट करेगी की देश के कौन से शहरों में रेडियो खोलने चाहिए। तो मान लीजिये की आप स्टेट के किसी शहर में रेडियो खोलना चाहते हैं, पर सेंट्रल गवर्नमेंट ने उस केटेगरी के शहर में एफएम रेडियो खोलने की परमिशन नहीं दी है, तो आप नहीं खोल पाएंगे। अनाउंसमेंट के बाद आपको फ्रीक्वेंसी खरीदने के लिए बोली लगानी पड़ती है, बेटिंग में हाइएस्ट बोली लगाने वाले को फ्रेक्वेंसी अलॉट कर दी जाती है।
लाइसेन्स 15 साल का होता है, और इसके लिए आपको 50 लाख से लेकर 15 - 20 करोड़ तक चुकाने पड़ सकते हैं। इसके बाद ये मिनिस्ट्री ऑफ़ ब्रॉडकास्टिंग के साथ पेपर वर्क, लाइसेन्स, और एग्रीमेंट का काम निपटने के बाद ही आप रेडियो स्टेशन खोल सकते हैं। मसिनेरी और इक्विपमेंट्स की जाए तो मसिनेरी और रेडियो ब्रॉडकास्टिंग इक्विपमेंट भी काफी ज्यादा महंगे आते हैं।
इन इक्विपमेंट में रेडियो कंसोल, माइक /रिकॉर्डिंग सिस्टम /साउंड सिस्टम /ब्राडकास्टिंग सॉफ्टवेयर लाइसेंस, सर्वर /एंटीना, टावर /पावर बैकअप, पावर जनरेटर, और भी जरूरी चीजें काफी आती हैं। उसके बाद भी आपको कम्प्यूटर्स, एस्सेसरीज, सॉफ्टवेयर, इंटरनेट कनेक्शन, जैसी ढेर सारी चीजें लेनी पड़ेगी। अब आगे ऑफिस और स्टूडियो कंस्ट्रक्शन की बात करें तो एफएम रेडियो का स्टूडियो और ऑफिस एक ही बिल्डिंग या फ्लोर पर होता है। ये आपको बना बनाया नहीं मिलेगा।
इसके लिए आपको कोई खाली स्पेस रेंट पर लेना होता है, फिर उसे आपको अपने हिसाब से बनवाना या डिज़ाइन करवाना होता है। स्टूडियो की बात करें तो एक ऑन एयर स्टूडियो, एक बैकअप स्टूडियो, और एक प्रोडक्शन स्टूडियो कम से कम चाहिए होता है। जिन्हे साउंड प्रूफ बनवाना होता है। उसके बाद ऑफिस स्टाफ और बाकी टीम के लिए सीटिंग डेस्क, केबिन, कांफ्रेंस रूम, गेस्ट रूम, सर्वर रूम, कैफेटेरिया, वाशरूम और पार्किंग की स्पेस की जरूरत होती है।
और यहाँ तक पहुँचने के बाद अगला काम है, म्यूजिक ब्राडकास्टिंग लाइसेंस, रेडियो पर जो आप लगातार बैक तो बैक म्यूजिक सुनते हैं, उन्हें बजाने के लिए रेडियो स्टेशन को म्यूजिक कम्पनीज और लेबल, पैसे चुकाने पड़ते हैं। जी हाँ, जिसे म्यूजिक रॉयल्टी कहा जाता है, जैसे अगर आप टी सीरीज, ज़ी म्यूजिक, सा रे गा मा, सोनी म्यूजिक, या किसी और म्यूजिक लेबल के गाने बजाते हैं, तो उन्हें हर महीने या इयरली, बेसिस पर पैसे देने पड़ते हैं। जो लाखों में होते हैं।
जिसके बदले में वो आपको अपने गानों का सॉन्ग एक्सेस, सेलिब्रिटी इंटरव्यू, और कोई स्पेशल डील या रेडियो के साथ मिलकर के कोई स्पेशल म्यूजिक कैंपेन चलाने की परमिशन देते हैं। अगर बिना लाइसेंस के अगर आप कोई गाना बजा देते हैं तो म्यूजिक कंपनी आप पर कॉपी राइट रूल के हिसाब से केस कर सकती है। या हर्जाना मांग सकती है, तो ऐसा कभी मत कीजियेगा।
मैनपावर और टीम की बात करें तो कोई भी रेडियो स्टेशन चलाने के लिए आपको रेडियो जॉकी, शो प्रोड्यूसर, म्यूजिक मैनेजर, ऐड या स्क्रिप्ट राइटर, स्टेशन हेड या बिज़नेस हेड, सेल्स या मार्केटिंग टीम, ब्रॉडकास्ट इंजीनियर, साउंड इंजिनियर, वीडियो एडिटर, ग्राफ़िक डिज़ाइनर, एडमिन या ऑफिस बॉय, सिक्योरिटी गार्ड, जैसे टीम मेंबर्स हायर करने पड़ते हैं। इनकी सैलरी पर भी अच्छा खासा पैसा आता है। ब्रांडिंग की जहाँ तक बात की जाए तो जब किसी शहर में आप अपना रेडियो स्टेशन खोलते हैं, तो आप प्री- प्रोमोशन करवा सकते हैं।
इसके लिए आप होर्डिंग, ऐडवर्टाइज़मेंट, बैनर, और पोस्टर लगवा सकते हैं, सोशल मीडिया ऐड भी चलवा सकते हैं। स्टेशन लांच होने के बाद प्रेस रिलीज़ या सेलिब्रेशन पार्टी पर भी ऑर्गनाइज भी करवा सकते हैं। जहाँ पर शहर के जाने माने लोग, मीडिया वर्कर्स, गवर्नमेंट ऑफिसियल, और किसी सेलिब्रिटी को भी बुलवा सकते हैं। ये पूरी तरह से अपने ब्रांड को हाईलाइट करने के लिए होगा जहाँ आप अपनी टीम को इंट्रोड्यूस करवा सकते हैं, और मीडिया कवरेज भी दिलवा सकते हैं। तो इतना सब होने के बाद अब आता है, मेन काम जो है रेवेन्यू एंड इनकम। किसी भी रेडियो प्रोफेशनल या एफ एम रेडियो पर काम करने वाले किसी व्यक्ति से मिलने पर अक्सर लोग ये सवाल करते हैं की रेडियो की कमाई कैसे होती है।
तो जान लीजिये की ज्यादातर रेडियो स्टेशन एडवेर्टीजमेंट बजा कर ही रेवेन्यू जेनेरेट करते हैं। गानों के बाद या आर जे के बोलने के बाद आपको जो एडवेर्टीजमेंट सुनाइ देते हैं उन्ही से कमाई होती है। इसीलिए अगर आप रेडियो स्टेशन खोल रहे हैं तो आपको अच्छी सेल्स टीम रखनी चाहिए। जो मार्केट से प्रोजेक्ट्स, क्लाइंट्स, और एडवेर्टीजमेंट्स ले कर आए।
क्योंकि रेडियो स्टेशन चलाना खर्चीला होता है। इसमें एम्प्लाइज की सैलरी, इलेक्ट्रिसिटी बिल, म्यूजिक रॉयल्टी, इंटरनेट बिल, मोबाइल या टेलीफोन बिल। और ऑफिस चलाने के लिए जिन खर्चों की ज़रुरत पड़ती है वो सबकुछ शामिल होता है। इनके अलावा भी पेड इंटरव्यूज, सोशल इवेंट्स, टाई अप्स एंड पार्टनरशिप, डिजिटल प्रमोशन, करवा कर भी इनकम जेनेरेट कर सकते हैं।
और अब आता है सबसे इम्पोर्टेन्ट सवाल, 'करियर ओपोर्चुनिटीज़' तो लोगों में ये कॉमन परसेप्शन है की रेडियो में सिर्फ आरजेज या रेडियो जॉकीज़ ही होते हैं। इसीलिए अक्सर लोग ये सवाल पूछते हैं की रेडियो जॉकी बनने के लिए क्या करना पड़ता है? या मैं भी रेडियो जॉकी बनना चाहता हूँ। तो रेडियो जॉकी के अलावा भी ऐसे बहोत सारे ऑप्शंस हैं जहाँ पर आप अपना करियर बना सकते हैं।
सबसे पहले अगर आप रेडियो जॉकी बनना चाहते हैं तो आपको कम से कम ग्रेजुएट होना पड़ेगा। और अगर आपने मास कम्युनिकेशन की पढाई की है तो आपको एडवांटेज मिल सकता है। हालाँकि यहाँ पर आपकी डिग्री से भी ज्यादा आपकी कम्युनिकेशन स्किल, भाषा पर पकड़। लोगों को एंटरटेन करने का तरीका, जनरल नॉलेज वगैरह अगर बहोत स्ट्रांग है, तो आप ट्राई कर सकते हैं।
और इसी के साथ आगे बढ़ते हैं और बात करते हैं साउंड इंजीनियर की, रेडियो पर आप जो भी एडवेर्टीस्मेंट, या फिर कोई अनाउंसमेंट प्रोमोशन, जिंगल /प्रोमो या कोई पैकेज्ड प्रोग्राम सुनते हैं, तो उन्हें बनाने के लिए रिकॉर्डिंग, एडिटिंग, मिक्सिंग के लिए, साउंड डिज़ाइन के लिए, गाना मिक्सिंग के लिए, साउंड इंजीनियर की ज़रुरत पड़ती है। अगर आपने ऑडियो मिक्सिंग का कोर्स कर रखा है तो नया साउंड डिज़ाइन करना, म्यूसिक कंपोज़ करना आपको आता है तो आप अप्लाई कर सकते हैं।
जहाँ तक राइटर की बात है तो, रेडियो में भी रइटर्स की ज़रुरत पड़ती है। अगर आप एक स्टोरी राइटर या स्क्रिप्ट राइटर हैं, क्रिएटिव और ह्यूमर राइटिंग कर सकते हैं तो, नए-नए आइडियाज ला सकते हैं, या किसी आईडिया को क्रिएटिव वे में लिख सकते हैं तो आप कॉपी राइटर, स्क्रिप्ट राइटर, जैसी पोस्ट पर काम कर सकते हैं। और अब बात करते हैं वौइस् ओवर आर्टिस्ट की, रेडियो पर कभी-कभी कोई आवाज हमें बड़ा इन्फ्लुएंस कर देती है, या उनके बोलने का स्टाइल हमें बहुत अच्छा लगता है, क्योंकि रेडियो पर हम आवाज ही तो सुनते हैं, इसीलिए अगर आपकी आवाज अच्छी है, इंग्लिश, हिंदी, या किसी रीजनल लैंग्वेज पर आपकी पकड़ अच्छी है आप बड़े ही साफ़-सुथरह तरीके से बोल सकते हैं, तो आप वौइस् रिकॉर्डिंग, नरेसन और एडवेर्टीस्मेंट में अपनी आवाज दे सकते हैं।
इसके अलावा, वीडियो एडिटर, ग्राफ़िक डिज़ाइनर, म्यूजिक मैनेजर, शो प्रोड्यूसर, सेल्स एंड मार्केटिंग, ब्रॉडकास्ट इंजीनियर, एडमिन जैसी पोस्ट पर अपने एक्सपीरियंस, नॉलेज, स्किल्स और क्वालिफिकेशन के दम पर नौकरी पा सकते हैं। वैसे अच्छी बात ये है की रेडियो में मेल और फीमेल के लिए इक्वल ओपोर्चुनिटीज़ है, क्योंकि यहाँ पर बस आपका टैलेंट ही आपको काम दिला सकता है।
और इन सब के साथ सैलरी की भी बात कर लेते हैं तो एक फ्रेशर के तौर पर आप आराम से 20 से 25 हज़ार रुपये से शुरुवात कर सकते हैं। बाकी आपका टैलेंट आपकी स्किल्स के हिसाब से आप और ज्यादा सैलरी हाइक पा सकते हैं। रेडियो इंडस्ट्री और कई पॉपुलर रेडियो जॉकी हैं जो महीने में लाखों रुपये की सैलरी पाते हैं। एक्चुली, अलग-अलग प्रोफाइल और रोल के हिसाब से अलग-अलग सैलरी दी जाती है। साथ ही मिडिल-ईस्ट के देशों में हिंदी रेडियो स्टेशन काफी चलते हैं।
तो दुबई-क़तर कैनेडा में भी जॉब ट्राई कर सकते हैं, और इन सब के अलावा एक कॉमन सवाल जो अक्सर पूछा जाता है की हमे आर जे बनना है, हम बहोत अच्छा लिखते हैं, तो हम रेडियो स्टेशन में कैसे अप्लाई करें। तो उसके लिए आप इंटर्नशिप कीजिये वहां पर जा कर के काम करना सीखिए। और जिस काम में आपको मजा आए, आपका टैलेंट हो, आप उसको और निखारिये और तराशिये। उसपर और मेहनत कीजिये।
सो इंटेनशिप से आप शुरुवात कर सकते हैं बाकी आपकी जर्नी आपको कहाँ ले जाएगी ये बिलकुल आप पर डिपेंड करता है की आप उसको किस वे से आगे ले जाते हैं। आरजेइंग करके, स्क्रिप्ट लिख के, साउंड इंजीनियरिंग के थ्रू, एडमिन के थ्रू, एच आर के थ्रू, यानी के बहोत सारी ओपोर्चुनिटीज हैं आपके लिए।